बुधवार, 14 दिसंबर 2022

Maa AnnaPurna देवी की पूजा करने से घर में नहीं होती धन-धान्य की कमी

दिसंबर 14, 2022 0

 मां अन्नपूर्णा देवी की पूजा करने से घर में नहीं होती धन-धान्य की कमी | #annpurnajyanti






नमस्कार मैं दान सिंह बिष्ट आपका स्वागत करता हूँ आपके अपने यूट्यूब चैनल उत्तराखंड ऑनलाइन में आज अन्नपूर्णा जयंती है और अन्नपूर्णा जयंती के महत्व के बारे में बात करेंगे अन्नपूर्णा जयंती कब मनाई जाती है और क्या अह कारण है इसको मनाने का के पीछे उन सभी के बारे में आज बात करेंगे तो माता अन्नपूर्णा जयंती की आप सभी को पहले तो बहुत सारी ढेर सारी शुभकामनाएं हार्दिक बधाइयाँ बात करते हैं माता अन्नपूर्णा जयंती कब मनाई जाती है? तो मंगसीर मास की पूर्णिमा के दिन ये मनाई जाती है मंगसीर मास की जो पूर्णिमा आती है उस दिन इसका अह व्रत भी रखते हैं बहुत सारे लोग और माता उनकी पूजा भी करते हैं जो व्रत नहीं रखते वो केवल पूजा ही करते हैं और जो व्रत रखते हैं वो अह पूरा व्रत रखने रखते हैं इसका और क्या कहते हैं माता अन्नपूर्णा की अह सांझ टाइम में पूजा करते हैं। जैसा कि एक नॉर्मल व्रत रखा जाता है उसी तरह का ये व्रत होता है मगर ये व्रत कहाँ पे अह इसकी होती है मैं आपको बताऊंगा तो मंदिर में तो आप हरदम ही करते हैं पूजा तो मैं बताऊंगा कि कहाँ पे इसकी पूजा की जाएगी अब जो अह श्रद्धालु होते हैं वो अह देवी की पूजा तो करते ही हैं और उनके घर में धन धान्य की कभी कमी नहीं होती है। आप देखते होंगे कि कभी हम बहुत सारा, पूरा अपने महीने के राशन तो ले आते हैं मगर कभी-कभार वो बहुत जल्दी-जल्दी ऐसा लगता है बहुत जल्दी-जल्दी खत्म हो रहा है। तो वही चीज नहीं होने देती माता और आपके धन-धान को भरपूर रखती है। और आप कभी शब्द को नहीं कहेंगे क्योंकि बहुत लोगों से आपने सुना होगा कि अभी तो लाए थे, अभी खत्म हो गया राशन अभी लाए थे, अभी खत्म हो गई, ये चीज लाए थे, खत्म हो गए, तो वो चीज आपको उस चीज की परेशान नहीं होने देगी और अगर धन की थोड़ी कमी भी है तब भी आपके पास अह साधन रहेगा कि आपको किसी से मांगना नहीं पड़ेगा धन की बात करें तो तो इस तरह का जो है माँ अन्नपूर्णा की उस तरह की जो कृपा है एक वो बनी रहती है उनके श्रद्धालुओं पे अब सबसे बड़ी बात है कि इनकी पूजा कहाँ पे करें, मंदिर में इनकी पूजा नहीं होती है, मंदिर में जो अह मंदिर है वहाँ पे आप धूपबत्ती करके रख लें उसके बाद सबसे पहले नहा-धो के आप रसोई में आ जाएं और रसोई में आने के बाद अह गंगाजल से छिड़काव करें, वहाँ पे अच्छा साफ-सुथरा माहौल आप बना लेंगे उसके बाद जो भी पूजा सामग्री है, धूप में जो भी आप आपकी इच्छा के अनुसार जो भी आप करना चाहते हैं। तो अह शहरों में तो गैस वगैरह है तो यहाँ पे चूल्हे के ऊपर नहीं हो सकता हालांकि इसका चूल्हे के ऊपर ही धूप, दीप, भांति, जला के फल, फूल जो भी चढ़ाना चाहते हैं भोग, नव जो भी आप करना चाहते हैं, जिस हिसाब से पूजा वो कर सकते हैं, चूल्हे के ऊपर होता है ये। गाँव में चूल्हे बने होते हैं, मिट्टी के लेते हुए। उनमें ये बहुत अच्छी तरह और भली भांति अन्नपूर्णा माता की पूजा होती है, मगर शहरों में ये है थोड़ा अलग है इसका हिसाब शहरों में क्या करते हैं कि गैस है, सिलेंडर है, गैस पे खाना बनाते हैं लोग तो उसमें क्या होता है कि आप गैस में तो नहीं साइड में आप वो दिया वगैरह जला लें। हालांकि गैस में भी इतना वो होता है मगर ठीक है साइड में आप कर लें गैस के थोड़ा सेफ्टी के साथ और वहीं आप तिलक वगैरह कर सकते हैं गैस के ऊपर तिलक वगैरह करके फूल वगैरह चढ़ा दे वहाँ पे और दिए के पास भी थोड़ा फूल रख दे और फल फूल वगैरह भी आप उसमें रख सकते हैं पीली मिठाई हो वो भी आप अर्पित कर सकते हैं आज गुरुवार है आठ दिसंबर को और आज ही अन्नपूर्णा जयंती है तो अ मंगसीर मास की पूर्णिमा को ही अन्नपूर्ण जयंती मनाई जाती है इसी दिन ही माता ने अवतार लिया था अपना जीवों के भरण-पोषण के लिए इस संसार में तो ये इनकी पूजा विधि है बहुत बड़ी-बड़ी पूजा विधियाँ नहीं बताऊंगा आपको जो आप रोजाना करते हैं उस तरह से जो आपके मन में आता है ऐसा वो कर सकते हैं आप बाकी जो पौराणिक कथा है तो अह उस कथा में यही आता है वर्णन कि अन्न और जल का जब आकाल पड़ गया पृथ्वी पर तो संसार के प्राणियों में संकट पैदा हो गया था और लोग भूख की कमी से मरने लगे थे, अन्न की कमी से मरने लगे थे, त्रासदी इतनी बढ़ गई कि अह भगवान ब्रह्मा और विष्णु की आराधना की ओर लोगों ने बढ़ना चालू किया और अपनी समस्या उनको कही तो ब्रह्मा और विष्णु जी ने अह शिवजी को योग निद्रा से जगाया। और सम्पूर्ण समस्या से उनको अवगत कराया समस्या बहुत गंभीर थी इसको जानकर महादेव ने पृथ्वी अह का जो है निरीक्षण भी किया है और कि क्या किस तरह से स्थिति बनी हुई है तो उसी समय माता अह पार्वती ने अन्नपूर्णा देवी का रूप लिया और शिव जी ने अन्नपूर्णा देवी से चावल भिक्षा में मांगे थे और उन्हें भूख के पीड़ित लोगों के मध्य अह वितरित करा दिया प्रसाद स्वरूप तो एक तस्वीर भी है जिसमें अह भगवान शिव माता अन्नपूर्णा से भिक्षा ले रहे हैं, तो वो भिक्षा इसीलिए ली गई थी और इस दिन से अह पृथ्वी पर अन्नपूर्णा जयंती का जो है ये त्यौहार ये पर्व मनाया जाता है बता दें कि पूर्णिमा की जो तिथि है वो सात दिसंबर को आठ बजकर एक मिनट से शुरू हो गई है और अगले दिन आठ दिसंबर को नौ बजकर सैंतीस मिनट तक पूर्ण तिथि की समाप्ति हो गई.


मगर ऐसा है कि अन्नपूर्णा जयंती आज ही मनाई जा रही है और आज ही मनाई जाएगी अन्नपूर्णा जयंती जो है आज ही है.


हालांकि पूर्णिमा की तिथि सात दिसंबर को ही आरंभ हो गई थी आठ बजकर एक मिनट तो ये थी कुछ कथा जो कि बताई जाती है जो कि पौराणिक कथाएं हैं और आप माँ अन्नपूर्णा जयंती का व्रत रखा है या उनकी पाठ पूजा की है। तो यकीन रखिए कि धन्य दान की कमी होने वाली नहीं है। किसी भी तरह से, वैसे भी मैंने देखा है कि ये तो आज का दिन है कि माता अन्नपूर्णा जयंती है तो वैसे भी मगर माता किसी के लिए कभी कोई कसर नहीं छोड़ती। आप उनकी पूजा कर रहे हैं, नहीं कर रही है, ऐसा कुछ नहीं है कि जो पूजा ही कर रहा है वो इसी को ही मिल रहा है, ऐसा भी नहीं है, मगर ठीक है अगर कोई दिक्कतें आपके घर में आ रही हैं, कोई परेशानी, धन धान्य से संबंधित तो आप इस अह व्रत को रख सकते हैं। और माता अन्नपूर्णा के इस त्यौहार का लुप्त उठा सकते हैं, इस त्यौहार को अपने मन में बसाकर उनकी पूजा-भक्ति करके अपने लिए एक अभिष्ठ वरदान प्राप्त कर सकते हैं, माता अन्नपूर्णा से, तो सभी को माता अन्नपूर्णा जयंती की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ वीडियो को यहीं मैं विराम देना चाहूंगा।

Paush Month 2022 पौष माह में इन उपायों को करने से बढ़ेगा सौभाग्य

दिसंबर 14, 2022 0


Paush Month 2022 पौष माह में इन उपायों को करने से बढ़ेगा सौभाग्य

YouTube Channel: https://www.youtube.com/@ddkmy
Website: https://www.saleyr.com

पौष माह में इन उपायों को करने से बढ़ेगा सौभाग्य

आज बात करेंगे पौस महीने की और पौस महीना आरम्भ हो चुका है इसमें हमें क्या उपाय करने चाहिए तो हमारा भाग्य जो है उदय हो, हमारे जीवन की कठिनाइयों में हमें शक्ति मिले, उनसे लड़ने के लिए हमारे जीवन में पॉजिटिव एनर्जी का वास हो हमें अपने इष्ट देव का आशीर्वाद मिले, हमें अपने कुलदेवता से सिद्धि प्राप्त हो सके, हमें जो भी कार्य उसमें हमें सफलता मिले, बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद मिले. हमारा जीवन एक अच्छी राह पे चल सके. जीवन की जो कठिनाइयां आ रही हैं वो खत्म हो.




और उसमें हमें सफलता प्राप्त हो हम हर काम करने में जो हमारे उचित काम है उनको हम करने में सफलता अर्जित कर सकें तो अ चलिए बात करते हैं आज पोस महीने की पोस महीने का शुभारम्भ तो नौ दिसंबर शुक्रवार से ही हो चुका है आज दस दिसंबर है मैं आज ये वीडियो बना रहा हूँ तो चलिए बात करते हैं इसके महत्व की पौष क्यों महत्वपूर्ण है हमें इस महीने में क्या-क्या काम करने चाहिए कि हमारे जीवन में सुख समृद्धि का वास हो तो नौ दिसंबर शुक्रवार से ही ये महीना आरंभ हो चुका है पौष का और भगवान सूर्य देव से संबंधित है पौष महीना पौष महीने में सूर्य देव की पूजा का महत्व बढ़ा है। इस महीने में हम पिंडदान और श्राद्ध क्रम भी कर सकते हैं पितरों के लिए जो कि हमारे पितरों का आशीर्वाद हम पे बना रहे उनको जो है अगर वो किसी भी अह दुविधा में फंसे हैं या उनका उद्धार वहाँ नहीं हो पा रहा है तो पितृ अह पूजा करके उनको हमें अच्छे स्थान को दिलाने का एक दायित्व होता है जो कि पिंडदान या श्राद्ध कर्म से हम कर सकते हैं अपने पितरों के लिए अच्छा कर सकते हैं ताकि वो हमारे लिए अच्छा कर पाए महीने में सूर्य देव की जो गति होती है वो धीमी हो जाती है इसलिए खरमास भी लग जाता है.

खरमास के बारे में एक पूरी वीडियो बना के दूंगा. जिसमें खरमास के ही बारे में बात करेंगे क्योंकि पॉस महीने के अ जो अ पॉस महीना होता है उसी में ही ये खरमास भी लगता है तो अब बता देता हूँ आपको खरमास का प्रारम्भ कब होगा तो खरमास का प्रारम्भ सोलह दिसंबर से होगा. आज दस तारीख है दस दिसंबर है.

सोलह दिसम्बर से खरमास भी लग जाएगा.

तो महीने का जो अ महत्व है वो बहुत ही हमारे लिए महत्वपूर्ण है कि हम अपने जीवन को सुचारू रूप से चला सकें हमें कठिनाइयों से लड़ सकें हमें शक्ति प्राप्त हो उन कठिनाइयों से जीवन में लड़ने के लिए तो हमें क्या-क्या आं काम करने चाहिए तो ये बता दें कि पोश महीना कब से कब तक है? तो कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ वैसे आठ दिसंबर से ही हो गया था तो आपको ये बता दें कि पौस की जो पूर्णिमा होती है पौस की पूर्णिमा के दिन ही पौस मास का समापन होता है.

तो पौस महीना मैंने बता दिया नौ दिसंबर दो हजार बाईस से आरम्भ हो चुका है और जो की सात जनवरी दो हजार तेईस तक रहेगा यानी शुक्रवार तक रहेगा शुक्रवार से शुक्रवार ये बहुत ही अच्छा संयोग बन पड़ा शुक्रवार से चालू हुआ शुक्रवार को ही इसका समापन होगा.

ये काफी अच्छा योग है और इसमें अह हम अपने लिए जो भी उपाय करेंगे वो अह सिद्ध होने वाले हैं उनमें रुकावट नहीं होगी। तो चलिए बात करते हैं कि क्या-क्या उपाय हमें करने चाहिए, बहुत बड़े-बड़े कोई ज्यादा बड़े उपाय नहीं है वही जो हम अपने जीवन में अपनाते हैं छोटे-मोटे जो उपाय हैं, छोटे-छोटे उपाय उन्हीं उपायों से हम अपना उद्धार कर सकते हैं। तो चलिए करते हैं. पौष माह में जो है भगवान सूर्यदेव महत्व है पौष माँ उन्हीं से आधारित, उन्हीं पे आधारित है सूर्य देव से ही तो सूर्य देव जो है इस टाइम पे धीमी गति में भी होते हैं.

सूर्य देव की आराधना हमें करनी चाहिए.

सूर्य देव की आराधना करने से उनको जल अर्पित करने से लाल फूलों का और लाल चंदन अक्षत डालकर उनको अर्पित किया जाने वाला जल जो है वो बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है और हमें बड़े महत्वपूर्ण और जो अद्भुत इसके लाभ मिलते हैं.

सूर्य मंत्र का अगर जाप अगर आप मंत्रों का जाप करना जानते हैं तो आप जाप कर सकते हैं.

और सूर्य मंत्र का जाप करना बहुत ही फायदेमंद होता है कार्य पद प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है सफलता में वृद्धि होती है आप ये जान लें इस चीज को तो उसके अलावा हमें पौष माह में प्रत्येक रविवार के दिन जो है व्रत अगर हम रखना चाहते हैं रख सकते हैं तो रख सकते हैं तो हम रखें क्योंकि सूर्य देव की पूजा सूर्य देव की जो पूजा होती है उसी दिन ही होती है रविवार को ही तो प्रत्येक रविवार को हम व्रत रख सकते हैं पौष माह की प्रत्येक रविवार को और नमक का अह प्रयोग इसमें वर्जित होता है मीठा भोजन हमें करना चाहिए सूर्यदेव प्रसन्न रहेंगे कुंडली में उनका प्रभाव बढ़ेगा और जो अह भाग्य में वृद्धि करने वाला होता है साथ ही पौष माह में सर्दी अ बढ़ जाती है गर्म कपड़े, कंबल, गुड़ इन चीजों का हमें दान करना चाहिए.

इस दान से हमें क्या होता है सुख-शांति में वृद्धि होती है.

इसके अलावा सूर्य देव को तिल और चावल की खिचड़ी का भोग भी लगा सकते हैं लाल और पीले वस्त्र पहन सकते हैं हम और सूर्य का प्रिय रंग माना जाता है ये अह लाल और पीला और इससे क्या होता है कि भाग्य जो है वो प्रबल होता है अब मांगलिक कार्य नहीं किए जाते क्योंकि खरमास भी मध्य पड़ता है जैसे सोलह तारीख से खरमास पड़ जाएगा लग जाएगा आरम्भ हो जाएगा खरमास तो खरमास भी पड़ता है पौष मास नहीं तो इसे खरमास का नाम भी दिया जाता है तो इस माह में नए-नए कार्य नहीं करते तो खरमास से पहले-पहले निपटा लेते हैं आजकल देखिए आप शादी ब्याह हो रहे हैं तो सोलह सोलह तारीख जैसे ही लग जाएगी उसके बाद फिर वही थोड़ा बहुत जब तक खरमास रहता है तब तक वो बंद हो जाते हैं, मांगलिक कार्य नहीं करते लोग तो मांगलिक कार्य वर्जित है, खरमास के टाइम पे ये सब है चीजें, इन चीजों का ध्यान रख के या इन चीजों को अह हम अपने जीवन में अपना के भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करके उनको लाल अह चंदन, अक्षत, लाल फूल अर्पित करके गुड़ भी उसमें डाल लें आप अगर जल अर्पित कर रहे हैं तो थोड़ा गुड़ की डालिए हल्की सी, छोटी सी तो उससे भी बहुत में वृद्धि मिलेगी मान प्रतिष्ठा सफलता आपको मिलेगी तो ये थे उपाय और ये था पौस माँ का वर्णन आपके सामने कब से चालू हुआ? कब इसका समापन होगा वो भी मैंने आपको बता दिया तो वीडियो अगर आपको अच्छी लगती है और चैनल पे अगर आप नए हैं तो आप चैनल को सब्सक्राइब जरूर कर लीजिएगा। 





कब है Rukmini Ashtami 2022: रुक्मिणी अष्टमी पूजा विधि और महत्व

दिसंबर 14, 2022 0

कब है Rukmini Ashtami 2022: रुक्मिणी अष्टमी पूजा विधि और महत्व



आज बात करते हैं रुक्मिणी अष्टमी के बारे में जो कि कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है और इस दिन माता रुक्मिणी देवी के नाम से व्रत रखा जाता है, उनकी पूजा आराधना की जाती है, साथ ही भगवान श्री कृष्ण की पूजा का भी इसमें एक विधान है और उनकी पूजा भी की जाती है. द्वापर युग में माता रुक्मिणी का जन्म हुआ था और माँ लक्ष्मी का इनको अवतार कहते हैं, इस दिन जो व्रत रखता है तो माँ लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त करता है साथ ही साथ क्योंकि माता लक्ष्मी का अवतार मानी गई है देवी रुक्मिणी देवी.





भक्तों की उचित मनोकामना को पूर्ण करती हैं.

बात करेंगे अह इनकी पूजा विधि के बारे में और शुभ मुहूर्त के बारे में तो अष्टमी तिथि जो आ रही है वो आ रही है सोलह दिसंबर दो हजार बाईस को शुक्रवार को दिन शुक्रवार है, तो इसी दिन ही अह धनु संक्रांति मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, कालाष्टमी भी इसी दिन ही है और साथ ही साथ बहुत बड़ा संयोग ये बन पड़ा है देखिए इतने सारे व्रत त्योहारों के साथ ही साथ अह ये की शुरुआत हो रही है और खरमास में प्रभु की भक्ति, उनकी आराधना, कथा, प्रवचन ये सब हम भरपूर मात्रा में सुन सकते हैं, करा सकते हैं.

प्रभु की भक्ति पा सकते हैं. अपने जीवन का जो एक महत्वपूर्ण पल है ये खरमास. जिसमें हम अपने जीवन के लिए संपन्नता और आर्थिक रूप से प्रबल होने की इच्छा और अपने भाग्य को प्रबल बनाने के लिए अग्रसर रहते हैं. प्रयास कर सकते हैं और तत्पर हमें रहना चाहिए.

खरमास के बारे में मैंने वैसे वीडियो पूरी बना रखी है मेरे यूट्यूब चैनल में तो वहां पे आप जा के इसको सुन लीजिएगा खरमास की वीडियो है इसमें हम बात करेंगे रुक्मिणी अष्टमी के बारे में ही तो सोलह तारीख को ये रुक्मिणी अष्टमी का जो व्रत है वो रखा जाएगा शुक्रवार के दिन बहुत ही माता लक्ष्मी का वार माना जाता है शुक्रवार और उसी दिन ही ये व्रत आ रहा है तो प्रभु श्री कृष्ण की साथ में आप पूजा करेंगे तो साथ में एक ये भी हो जाएगा कि माँ श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन ही का दिन है वो और साथ ही साथ सहयोग ये बना बन पड़ा है कि रुक्मिणी देवी की पूजा के साथ श्री कृष्ण भगवान जी की पूजा का भी विधान होता है तो ये सब कुछ एक ही उसमें आप मतलब सोने पे सुहागा वाला काम हो जाएगा.

पूजा मुहूर्त के बारे में बात करें तो जैसे कि बताया सोलह दिसंबर को सुबह एक बजकर उनतालीस मिनट से शुरुआत हो रही है जो पूजा मुहूर्त की तो सुबह ही एक बजकर उनतालीस मिनट से ये हो जाएगा आरंभ.

इसका जो समापन है वो सत्रह दिसंबर को तीन बजकर दो मिनट पर होगा. साथ ही अभिजीत मुहूर्त है बारह बजकर दो मिनट से बारह बजकर तैंतालीस मिनट तक तो काफी अ बहुत ही महत्वपूर्ण तिथियाँ बंद पड़ी हैं और सहयोग भी ऐसा बंद पड़ा है. बस ये है कि भक्ति और शक्ति का एक समावेश है जो कि हमें और हमारे जीवन को उज्जवल बनाने में सहायक होगा.

अब महत्व बताएं तो इनका महत्व क्या है? सबसे बड़ी बात तो महत्व में ये आती है कि माता लक्ष्मी जो है धन की देवी हैं और रुक्मिणी जी उनका अवतार हैं माता लक्ष्मी का तो अह रुक्मिणी माता का जो अह जो शरीर है उन पे लक्ष्मी माता के ही लक्षण दिखाई देते हैं और लोग इन्हें लक्ष्म स्वरूपा भी कहते हैं तो मान्यता यही है कि जो भी स्त्री या पुरुष और खासकर स्त्रियों के बारे में ये क्योंकि स्त्रियां जो है अगर माता रुक्मिणी देवी का व्रत रखती हैं और ये अष्टमी तिथि जो है माँ जगदंबे को अह उनकी पूजा अर्चना करने का एक बहुत बेहतरीन अह घड़ी होती है, शुभ तिथि होती है अष्टमी तिथि और माता को बहुत ही प्रिय है तो ये जो व्रत है उस दिन तो उसपे जो भी स्त्री ये करती है उनको कठिनाइयों उसका सामना करना नहीं पड़ता और अगर कठिनाइयाँ आ भी रही है तो माता का नाम लेने से उनकी भक्ति निरंतर करने से उनकी कठिनाइयाँ भी दूर हो जाती है और समस्याएँ जो पारिवारिक होती है या कुछ आर्थिक होती है वो सब धीरे-धीरे सही-सही होने लगता है तो मनोकामनाएं तो पूर्ण होती ही है माता तो मनोकामनाएं पूर्ण करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ती और ये सब विदित है आप सबको कि माँ की भक्ति से हमें क्या-क्या प्राप्त हो सकता है हमें वो चीज भी प्राप्त हो सकती है जो कि क्या कहते हैं हमारे लिए हमने सोचा भी नहीं होगा कि हमें इतना मिल जाएगा माँ पूरी झोलियाँ भर-भर के देती है तो माता रानी का आशीर्वाद हमेशा ही रहता है आप व्रत करते हैं नहीं करते वो अलग बात है मगर आप माता का नाम भी लेते हैं तो उससे भी काफी अह जीवन बहुत असर पड़ता है बहुत से कष्टों से निजात पाए जाते हैं। अब बात करते हैं पूजा विधि के बारे में तो ब्रह्म मुहूर्त में ही ये चालू ही हो रहा है अगर देखा जाए तो इसका एक बजकर एक बजकर उनतालीस मिनट से ये आरंभ हो रही है। वैसे अगर ये देखा जाए तो ब्रह्म मुहूर्त में आप स्नान वगैरह कर लें, उससे निवृत हो के अह जो भी आप इच्छित आपने वस्त्र धारण करना चाहते हैं, आभूषण भी अगर आप धारण कर लें, उस दिन तो बहुत अच्छा रहेगा। पूरा आभूषण साथ स्त्रियां अपना श्रृंगार करके इस व्रत को धारण करें इस दिन आप तुलसी माता को दे सकते हैं। तुलसी में माता लक्ष्मी जी का ही वास होता है, साथ ही साथ गंगाजल का छिड़काव कर आप चौकी स्थापित कर लें, उसमें लाल रंग का कपड़ा बिछा लें। और भगवान गणेश की स्थापना सर्वप्रथम करेंगे। आप उसके बाद आप भगवान श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी की मूर्ति को स्थापित करेंगे, साथ ही शुद्ध से जल से भरा हुआ अह तांबे का जो है कलश वो आप अह रख सकते हैं अपने पास तांबे का ना हो, मिट्टी का हो कोई भी आप एक कलश आप रखें अपने साथ उसमें अह पत्ते जो होते हैं, अशोक के पत्ते मिल जाएंगे। आम के पत्ते बहुत ही ज्यादा शुभ माने जाते हैं, तो आम का पत्ता अगर आपको मिल जाता है, तो उस कलश में आप रखें उसको उसके साथ ही जब आप पूजा आरंभ करेंगे तो अह सबसे पहले भगवान गणेश जी का ध्यान करेंगे, उसके बाद ही आप भगवान श्री कृष्ण और माता रुक्मिणी जी देवी जी का अह ध्यान करेंगे, स्नान अभिषेक आप कर सकते हैं उनका फल-फूल, रोली-मोली चावल रखना बहुत ही जरूरी है उसमें चांदी का सिक्का हो आप डाल सकते हैं चावल के अंदर.

लौंग सुपारी जो भी आपके पास उपलब्ध हो धूप, दीप, चन्दन, अक्षत ये सब अर्पित करेंगे.

भगवान श्री कृष्ण को पीले वस्त्र बहुत पसंद हैं तो उनको वो चीज आप वही वस्त्र अर्पित करें.

उनसे ही श्रृंगार करें उनका. माता को लाल वस्त्र पसंद हैं उनको लाल वस्त्र से सज्जित करें.

जो भी है वो आप अर्पित कर सकते हैं.

करना भी चाहिए श्रृंगार आप ले सकते हैं बना-बनाया भी मिल जाता है.

व्रत की कथा सुने, आरती करें माता माता-पिता की साथ ही आप खीर का जो है वो भोग लगा सकते हैं, माता अह रुक्मिणी के इस व्रत में खीर का भोग अति उत्तम रहेगा, ये प्रसाद के रूप में आप वितरण कर सकते हैं पूरे घर में फिर जो दूसरा दिन होता है एक पारण समय कहते हैं जैसे कि एकादशी व्रत में होता है. उसी तरह का एक पारण होता है. उसमें आप गाय को सर्वप्रथम भोजन देने के बाद ही आप भोजन ग्रहण करें. दूसरे दिन की बात कह रहा हूँ मैं. तो इस तरह से माता रुक्मणी देवी का जो है व्रत किया जाता है और विधान इस तरह का है व्रत को रखने का.

तो मनोवांछित और उचित फल को हम प्राप्त कर जाएंगे और माता लक्ष्मी की कृपा हम पे सदैव बनी रहे इसी शुभकामनाओं के साथ इस वीडियो को यहीं विराम देंगे. अगर वीडियो आपको अच्छी लगती है आपने पूरी सुनते हैं वीडियो और पसंद है आपको ये सब. आं वीडियो हमारी तो बहुत-बहुत धन्यवाद. चैनल को आप सब्सक्राइब कर सकते हैं अगर चैनल पे नए हैं तो.





रविवार, 20 नवंबर 2022

Utpanna Ekadashi के उपलक्ष पर अवश्य पढ़नी चाहिए यह व्रत कथा

नवंबर 20, 2022 0

उत्पन्ना एकादशी 2022 व्रत कथा

उत्पन्ना एकादशी पर अवश्य पढ़नी चाहिए यह व्रत कथा



उत्पन्ना एकादशी 2022 व्रत कथा: हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं और इस दिन व्रत रखने का विधान है. अन्य एकादशियों की तरह उत्पन्ना एकादशी के दिन भी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और भगवान कृष्ण की पूजा का भी विशेष महत्व है। कहा जाता है कि एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन व्रत के दौरान व्रत कथा का पाठ करना जरूरी है।


उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

सतयुग में एक चंद्रावती नगरी थी। इस नगर में ब्रह्मवंशज नाडीजंग का शासन करते थे। उनका मुरा नाम का एक बेटा था। वह एक शक्तिशाली राक्षस था और उसने अपनी शक्ति से देवताओं को परेशान कर दिया था। मुर से परेशान होकर सभी देवता भगवान शंकर के पास पहुंचे। सभी देवताओं ने अपनी व्यथा सुनाई और भगवान शंकर से उनकी सहायता करने का अनुरोध किया। भगवान शंकर ने कहा कि इस समस्या का समाधान भगवान विष्णु के पास है। यह सुनकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे।


देवताओं ने अपनी व्यथा सुनाई। पूरी कहानी सुनने के बाद भगवान विष्णु ने उन्हें आश्वासन दिया कि मुर निश्चित रूप से पराजित होगा। इसके बाद मुर और भगवान विष्णु के बीच हजारों वर्षों तक युद्ध होता रहा। लेकिन मुर ने हार नहीं मानी।


युद्ध के बीच में जब भगवान विष्णु को नींद आने लगी तो वे बद्रिकाश्रम में हेमवती नामक गुफा में सोने चले गए। मुर भी उनके पीछे गुफा में चला गया। भगवान विष्णु को सोता देखकर जैसे ही मुर ने उन पर वार करने के लिए शस्त्र उठाया, श्री हरि के पास से एक सुंदर कन्या प्रकट हुई जो मुर से लड़ी।


Vivah Panchami 2022 सुखी वैवाहिक जीवन के लिए जानें महत्व 


सुंदरी के वार से मुर बेहोश हो गया, जिसके बाद उसका सिर धड़ से अलग हो गया। इस तरह मुर का अंत हुआ। जब भगवान विष्णु नींद से जागे तो सुंदरता देखकर हैरान रह गए। जिस दिन वह प्रकट हुई थी वह मार्गशीर्ष मास की एकादशी का दिन था, इसलिए भगवान विष्णु ने उसका नाम एकादशी रखा और उससे वरदान मांगने को कहा।


इस एकादशी पर कहा कि हे श्री हरि तेरी माया असीम है। मैं आपसे यह निवेदन करना चाहता हूं कि जो कोई भी एकादशी के दिन व्रत करता है, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इस पर भगवान विष्णु ने एकादशी को वरदान दिया कि आज से जो कोई भी हर महीने की एकादशी का व्रत करेगा, उसके समस्त पाप नष्ट हो जाएंगे और उसे विष्णुलोक में स्थान प्राप्त होगा। भगवान श्री हरि ने कहा कि सब व्रतों में एकादशी का व्रत मुझे सबसे अधिक प्रिय होगा। तब से लेकर आज तक एकादशी का व्रत किया जाता है।

बुधवार, 16 नवंबर 2022

WhatsApp ला रहा है मिस्ड audio-video कॉल से जुड़ा खास फीचर

नवंबर 16, 2022 0

WhatsApp ला रहा है मिस्ड ऑडियो-वीडियो कॉल फीचर


WhatsApp समय-समय पर अपने प्लेटफॉर्म में नए-नए फीचर जोड़ता रहता है। यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के लिए कंपनी ने हाल ही में कम्युनिटी और दूसरे फीचर्स जोड़े हैं। 

इन फीचर्स को स्टेबल वर्जन पर रिलीज करने से पहले कंपनी बीटा वर्जन पर टेस्ट करती है। ऐसा ही एक फीचर बीटा वर्जन पर स्पॉट किया गया है, जो भविष्य में स्टेबल वर्जन यूजर्स के लिए उपलब्ध हो सकता है।

डेवलपर नए फीचर पर काम कर रहे हैं, जो डू नॉट डिस्टर्ब से जुड़ा है। दरअसल, कई लोग अपने फोन को डीएनडी मोड में रखते हैं। ऐसे में कुछ वॉट्सऐप कॉल मिस हो जाती हैं, इसलिए उनकी जानकारी नहीं मिल पाती है। व्हाट्सएप का नया फीचर आपको इसकी जानकारी देगा। आइए जानते हैं इसकी डिटेल्स।

Whatsapp का नया फीचर क्या है?

WABetaInfo ने वॉट्सऐप से जुड़ी यह जानकारी शेयर की है। व्हाट्सएप ने कुछ बीटा यूजर्स के लिए एक नया फीचर जारी किया है। जब आपका फोन डू नॉट डिस्टर्ब मोड में होता है तो यह सुविधा उपयोगकर्ताओं को मिस्ड कॉल के बारे में सूचित करती है।

Samsung Galaxy M33 5G अब मिल रहा है बेहद सस्ता 

आपको 'Silenced by Do Not Disturb' लिखा हुआ मिलेगा। व्हाट्सएप पर आपको आने वाले समय में कई नए फीचर्स मिलेंगे, जो अभी बीटा वर्जन में हैं। उपयोगकर्ता अपने भेजे गए संदेशों को संपादित करने में सक्षम होंगे।

कई अन्य फीचर्स पर भी काम चल रहा है

व्हाट्सएप नोटिफिकेशन पर काम कर रहा है। दरअसल, कई बार व्हाट्सएप ग्रुप में बार-बार नोटिफिकेशन आने से यूजर्स परेशान हो जाते हैं। हालांकि, यूजर्स चाहें तो किसी भी ग्रुप को म्यूट कर सकते हैं। उनके पास यह विकल्प है।

लेकिन अब वॉट्सऐप यह काम जल्द ही अपने आप कर लेगा। व्हाट्सएप स्वचालित रूप से उन समूहों को म्यूट कर देगा जिनमें 256 से अधिक लोग होंगे। यह फीचर स्टेबल वर्जन में कब आएगा इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।

वायरलेस चार्जिंग और ब्लूटूथ कॉलिंग के साथ Pebble Smartwatch लॉन्च 

रविवार, 13 नवंबर 2022

Vivah Panchami 2022 सुखी वैवाहिक जीवन के लिए जानें महत्व

नवंबर 13, 2022 0

Vivah Panchami 2022: सुखी वैवाहिक जीवन के लिए विवाह पंचमी के दिन करें इन मंत्रों का जाप, जानें महत्व



हिंदू धर्म में विवाह पंचमी का महत्व बहुत अधिक है। हर साल यह तिथि मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन माता सीता का स्वयंवर आयोजित किया गया था और उन्होंने भगवान श्रीराम को वरमाला पहनाकर उन्हें वर के रूप में चुना था। इस तिथि को हिंदू धर्म में श्री राम-सीता के विवाह पर्व के रूप में मनाया जाता है और लोग इनकी शादियों का आयोजन भी अपने घरों में करते हैं।

इस साल विवाह पंचमी का पर्व 28 नवंबर को मनाया जाएगा. मान्यता है कि अगर शादीशुदा जोड़े अपने घर में भगवान श्रीराम का आयोजन और पूजा करते हैं तो उनका वैवाहिक जीवन सुखमय हो जाता है. इतना ही नहीं इस दिन किए गए कुछ विशेष उपाय जीवन में समृद्धि लाते हैं और कुछ विशेष मंत्रों के जाप से सभी संकट दूर हो जाते हैं। 


विवाह पंचमी के दिन क्या करें

मान्यता है कि विवाह पंचमी के दिन माता सीता सहित भगवान श्री राम की पूजा करने वाले विवाहित जोड़े के जीवन में कभी भी मनमुटाव नहीं होता है। यह भी माना जाता है कि इस दिन यदि अविवाहित लोग अच्छे वर की प्राप्ति के लिए विशेष पूजा करते हैं तो उन्हें भी जल्द ही अच्छा जीवनसाथी मिल जाता है।


इस दिन यदि व्रत के साथ पूजा भी की जाए तो उसे पूजा का दोगुना फल मिलता है। अगर आप इस दिन घर में विधि-विधान से राम विवाह का आयोजन करते हैं तो इसका फल आपके वैवाहिक जीवन पर भी पड़ता है और हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है।


रामचरितमानस का पाठ करें

एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार रामचरित मानस की रचना भी विवाह पंचमी के दिन ही की गई थी। इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है। माना जाता है कि इस दिन यदि आप घर में रामचरित मानस का पाठ करते हैं तो आपके जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है और सुख-समृद्धि के मार्ग खुले रहते हैं। जो माताएं इस दिन रामचरित मानस का पाठ करती हैं, उनकी संतान को भी जीवन में हमेशा सफलता मिलती है।

विवाह पंचमी के दिन इन मंत्रों का जाप करें

इस दिन अगर आप भगवान श्री राम के विशेष मंत्र 'श्री राम जय राम जय जय राम' का 108 बार जाप करते हैं तो आपके वैवाहिक जीवन में कभी भी परेशानी नहीं आएगी।

मनोकामना पूर्ति के लिए करें इन मंत्रों का जाप

श्री रामचंद्राय नमः ||

राम रामेति रामेति रामे मनोरमे।

सहस्त्र नाम तत्तून्यम राम नाम वरानी ||

नाम पहारु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट ||


विवाह पंचमी के उपाय

इस दिन विवाहित जोड़े को लाल या पीले वस्त्र धारण कर माता सीता सहित भगवान श्री राम की पूजा करनी चाहिए। इस दिन पूजा के दौरान राम जी को चंदन और माता सीता को सिंदूर का तिलक लगाएं। 


विवाहित जोड़े को श्रीराम-सीता की संयुक्त रूप से पूजा करनी चाहिए। इससे इनके जीवन में कभी कोई परेशानी नहीं आती और रिश्ता मजबूत होता है।

यदि आप विवाह पंचमी के दिन सत्यनारायण की कथा सुनते हैं तो भी आपका वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है। विवाह पंचमी के दिन किए गए विशेष उपाय आपके जीवन में समरसता बनाए रखने में मदद करेंगे।

शुक्रवार, 11 नवंबर 2022

Saubhagya Sundari व्रत तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व

नवंबर 11, 2022 0

सौभाग्य सुंदरी व्रत 2022: जानिए कब है सौभाग्य सुंदरी व्रत; तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व



सौभाग्य सुंदरी व्रत: सौभाग्य सुंदरी व्रत का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है. यह व्रत हर साल मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया को किया जाता है. जो इस बार 11 नवंबर को रखा जाएगा। इस दिन देवी पार्वती और बोनाथ की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो विवाहित महिलाएं इस व्रत को करती हैं उन्हें अखंड सौभाग्य और सुंदरता का आशीर्वाद मिलता है। पूजा मुहूर्त और सौभाग्य सुंदरी व्रत का महत्व...

पंचांग के अनुसार इस वर्ष मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि 10 नवंबर को शाम 06.31 बजे से शुरू हो रही है और अगले दिन 11 नवंबर को रात 8.17 बजे समाप्त होगी. इसलिए उदयतिथि के अनुसार सौभाग्य सुंदरी का व्रत 11 नवंबर को रखा जाएगा.


पूजा का शुभ मुहूर्त

शुभ मुहूर्त: सुबह 9.22 से 10.43 बजे तक

शुभ मुहूर्त दोपहर में: दोपहर 12:4 बजे से दोपहर 1:25 बजे तक

स्नान के पानी में कुछ चीजों को मिलाया जाए तो भाग्य उदय हो सकता है. 

2 शुभ योग बन रहे हैं

भविष्य पंचांग के अनुसार इस वर्ष सौभाग्य सुंदरी व्रत पर शिव योग और सिद्ध योग बन रहे हैं। शिव योग सुबह से रात 09:30 बजे तक है। इसके बाद सिद्धयोग शुरू होगा। शुभ कार्यों के लिए शिव और सिद्ध योग को शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन का महत्व विशेष बढ़ गया है।

अगर हो रही है पैसों की कमी और आर्थिक तंगी तो अपनायें ये उपाय |

महत्व और पूजा की विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर साफ कपड़े पहनें। साथ ही पूजा स्थल पर रखी चौकी पर माता पार्वती और भोलेनाथ की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें. इसके बाद उनका षोडशोपचार करें। भगवान शिव को भांग, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाएं। सौभाग्य सुंदरी व्रत पति की लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए रखा जाता है। 

इस दिन देवी पार्वती को मिठाई का भोग लगाया जाता है। साथ ही भगवान शिव का अभिषेक भी किया जाता है। इस व्रत को करने से दांपत्य जीवन की परेशानियां दूर होती हैं और सुख-शांति बनी रहती है। साथ ही भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

रविवार, 6 नवंबर 2022

Chandra Grahan साल का आखिरी चंद्र ग्रहण बदल देगा इन राशियों की किस्मत

नवंबर 06, 2022 0

चंद्र ग्रहण राशिफल: साल का आखिरी चंद्र ग्रहण बदल देगा इन राशियों की किस्मत




चंद्र ग्रहण 2022: साल का आखिरी चंद्र ग्रहण कार्तिक मास की पूर्णिमा यानी 8 नवंबर को लगेगा. यह आंशिक रूप से भारत समेत कई देशों में देखा जा सकेगा. सूतक सुबह 8.20 से शुरू होगा। इस दौरान धार्मिक या शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे। कई राशियों पर भी इसके प्रभाव की संभावना है। भारतीय समय के अनुसार यह चंद्र ग्रहण दोपहर 2:41 बजे से शुरू होगा और शाम 6.18 बजे मोक्ष होगा।

भारत में यह शाम 5:32 बजे से शाम 6.18 बजे तक ही दिखाई देगा। साल का आखिरी चंद्र ग्रहण मेष राशि में लगेगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार चंद्र ग्रहण का सभी राशियों पर शुभ और अशुभ प्रभाव पड़ेगा। आइए जानते हैं, सभी 12 राशियों पर चंद्र ग्रहण का प्रभाव-

मेष- मन में आशा और निराशा के भाव आ सकते हैं. मन की शांति के लिए प्रयास करें। नौकरी में अधिकारियों के साथ अनावश्यक बहस से बचें। आत्मविश्वास ऊंचा रहेगा, लेकिन बातचीत में संयमित रहें। वाहन सुख में वृद्धि हो सकती है। परिवार में धार्मिक कार्यक्रम हो सकते हैं।

वृष- आत्मविश्वास की कमी रहेगी. धर्म के प्रति समर्पण बढ़ सकता है। संतान के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। चिकित्सा खर्च बढ़ सकता है। कोई मित्र आ सकता है। वस्त्र भेंट किए जा सकते हैं। भाई-बहनों का सहयोग मिलेगा। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।

मिथुन- मन भी परेशान हो सकता है. आत्मनिर्भर बनें। नौकरी में बदलाव के अवसर मिल सकते हैं। अत्यधिक क्रोध से बचें। नौकरी में उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा। दूसरी जगह भी जाना पड़ सकता है। व्यापार में उन्नति के योग हैं। आत्मविश्वास भरपूर रहेगा।

कर्क- काम के प्रति उत्साह और उत्साह रहेगा. माता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जीवन अस्त-व्यस्त रहेगा। वाहन सुख में कमी आ सकती है। संतान से शुभ समाचार मिल सकता है। बातचीत में संतुलित रहें। मित्रों का सहयोग मिलेगा। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें।

सिंह- मन में निराशा और असंतोष रहेगा. व्यापार में वृद्धि होगी। काम ज्यादा होगा। लाभ के भी अवसर प्राप्त होंगे। मित्रों का सहयोग मिलेगा। पढ़ाई में रुचि रहेगी, लेकिन शैक्षणिक कार्यों में रुकावटें भी आ सकती हैं। संतान को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी हो सकती है।

कन्या- मन में प्रसन्नता का भाव रहेगा. बातचीत में संतुलित रहें। बौद्धिक कार्य धन कमाने का साधन बन सकते हैं। दिनचर्या में खलल पड़ सकता है। माता को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होगी। कार्यक्षेत्र में मुश्किलें आ सकती हैं। भाइयों से विवाद हो सकता है।


तुला- मन परेशान हो सकता है. आत्मनिर्भर बनें। परिवार के साथ किसी धार्मिक स्थान की यात्रा पर जा सकते हैं। मित्रों का सहयोग मिलेगा। कला और संगीत में रुचि बढ़ेगी। वाणी में नरमी रहेगी, लेकिन स्वभाव में चिड़चिड़ापन भी रहेगा। खर्चे ज्यादा रहेंगे।

वृश्चिक- स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। पारिवारिक समस्याओं पर ध्यान दें। आमदनी में कमी और अधिक खर्च की स्थिति बनेगी। भाइयों से वैचारिक मतभेद रहेगा। नौकरी में परिवर्तन के योग बन रहे हैं। किसी अन्य स्थान पर जा सकते हैं। संतान के स्वास्थ्य को लेकर आप चिंतित रहेंगे।

धनु- आत्मविश्वास की कमी रहेगी. मन अशांत रहेगा। मन की शांति के लिए प्रयास करें। मित्र के सहयोग से आय में वृद्धि हो सकती है। पारिवारिक समस्याओं को सुलझाने में पिता का सहयोग मिल सकता है। ख़र्चों की अधिकता से मन अशांत रह सकता है। विवाद हो सकते हैं।

मकर- मन प्रसन्न रहेगा। आत्मविश्वास भरपूर रहेगा। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। भवन सुख में वृद्धि हो सकती है। मन में आशा और निराशा के मिश्रित भाव बने रहेंगे। कार्यक्षेत्र में प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। उच्च अधिकारियों से विवाद हो सकता है।

कुंभ- कला या संगीत में रुचि बढ़ सकती है. परिवार में धार्मिक-धार्मिक कार्य हो सकते हैं। उपहार के रूप में वस्त्र मिल सकते हैं। पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा। किसी मित्र की मदद से रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। सम्मान मिलेगा। आय में वृद्धि होगी।


मीन- मन की शांति रहेगी। बातचीत में संतुलन बनाए रखें। पारिवारिक समस्याओं पर ध्यान दें। सेहत को लेकर परेशानी हो सकती है। आत्मविश्वास की कमी रहेगी। परिवार में धार्मिक कार्यक्रम हो सकते हैं। मित्रों का सहयोग मिलेगा। किसी संपत्ति से आय का स्रोत बनेगा।

Lunar eclipse जानिए सूतक काल का समय और क्या नहीं करना चाहिए?

नवंबर 06, 2022 0

08 नवंबर को लगेगा चंद्र ग्रहण

जानिए सूतक काल का समय और क्या नहीं करना चाहिए?




चंद्र ग्रहण 2022: मंगलवार, 08 नवंबर को चंद्र ग्रहण है. यह कार्तिक पूर्णिमा पर होने जा रहा है। यह साल 2022 का आखिरी चंद्र ग्रहण है। यह चंद्र ग्रहण देश के कई हिस्सों में आंशिक रूप से दिखाई देगा, जबकि पूर्वी हिस्सों में यह स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। स्थान और समय के आधार पर चंद्र ग्रहण के शुरुआती समय में अंतर हो सकता है, लेकिन यह हर जगह एक ही समय पर समाप्त होगा। चंद्र ग्रहण का सूतक काल ग्रहण के समय से 09 घंटे पहले शुरू हो जाता है. जिस स्थान पर ग्रहण का समय शुरू होगा, वहां सूतक काल की गणना 09 बजे से पहले कर लेनी चाहिए।

चंद्र ग्रहण 2022 का समय


दिल्ली में 08 नवंबर को लगने वाले चंद्र ग्रहण का समय शाम 05.32 बजे है. इस समय से चंद्र ग्रहण शुरू हो जाएगा और शाम 06:18 बजे समाप्त होगा। ग्रहण की शुरुआत से मोक्ष तक के समय को ग्रहण काल ​​कहा जाता है।




चंद्र ग्रहण 2022 सूतक काल


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण का सूतक काल 09 घंटे पहले शुरू होगा। ऐसे में 08 नवंबर को चंद्र ग्रहण का सूतक काल सुबह 09.21 बजे से शुरू होगा. स्थान के आधार पर सूतक काल के आरंभिक समय में अंतर होता है।


यह ग्रहण कार्तिक पूर्णिमा को पड़ रहा है। कार्तिक पूर्णिमा 07 नवंबर को शाम 04:15 बजे से 08 नवंबर को शाम 04:31 बजे तक चलेगी।




1. सूतक काल में सभी प्रकार के शुभ एवं मांगलिक कार्य न करें। ये वर्जित हैं। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है।


2. इस दौरान पूजा और धार्मिक कार्य बंद रहते हैं। सूतक काल में मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं।


3. सूतक काल में भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस समय का भोजन दूषित हो जाता है।


4. इस दौरान सोना भी वर्जित है। लेकिन मरीजों, बच्चों और बुजुर्गों को इससे छूट दी गई है।


5. गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय और सूतक काल में घर से बाहर निकलने की मनाही होती है और उन्हें नुकीली चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

Maskchat Hidechat ऐप का इस्तेमाल करें साथवाला नहीं देख पाएगा चैट

नवंबर 06, 2022 0

मास्कचैट हिडचैट ऐप का इस्तेमाल करें, इसके बगल में बैठा व्यक्ति भी चैट नहीं देख पाएगा


व्हाट्सएप दुनिया भर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला प्लेटफॉर्म है। हम अपना ज्यादातर समय व्हाट्सएप पर बिताते हैं। अब आप व्हाट्सएप के जरिए भी बिजनेस कर सकते हैं। हालांकि कई बार जब हम मेट्रो या ट्रेन में सफर कर रहे होते हैं तो हमें पता ही नहीं चलता कि आसपास बैठे लोग आपके मोबाइल फोन में झांक रहे हैं। हम नहीं चाहते कि हमारे बगल वाला व्यक्ति हमारी चैट पढ़े। ऐसे में कई बार दिमाग में यह ख्याल भी आता है कि काश कोई ऐसा व्हाट्सएप फीचर होता कि हमारे बगल में बैठे व्यक्ति को हमारी व्हाट्सएप चैट नजर नहीं आती।


हालांकि, अब यह संभव है। हम आपके लिए एक खास ट्रिक लेकर आए हैं। इसकी मदद से आप सार्वजनिक स्थान पर बिना किसी टेंशन के WhatsApp का इस्तेमाल कर पाएंगे और आपके बगल में बैठे व्यक्ति को कुछ भी दिखाई नहीं देगा. तो आइए जानते हैं कि कैसे आप इस ऐप की मदद से व्हाट्सएप चैट को लोगों की नजरों से छिपा सकते हैं।


WhatsApp के जरिए भेजने पर खराब हो जाती है Photo Quality? करें ये settings 


डाउनलोड करें मास्कचैट व्हाट्सएप के लिए हिडचैट ऐप

अगर आप चाहते हैं कि कोई आपकी चैट न पढ़े तो इसके लिए आपको एक ऐप इंस्टॉल करना होगा। इस ऐप का नाम है मास्कचैट-हिडेचैट। इसे आप प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं। Play Store पर आपको Maskchat के नाम से कई ऐप दिखाई देंगे. इस ऐप के प्रीमियम वर्जन को इस्तेमाल करने के लिए सब्सक्रिप्शन लेना होता है।


मास्कचैट-हिडेचैट ऐप कैसे काम करता है


मास्कचैट हिडेचैट व्हाट्सएप के जरिए फ्लोटिंग मास्क आइकन शो होगा। अगर आप चैट को पब्लिक में प्रोटेक्ट करना चाहते हैं तो फ्लोटिंग आइकॉन पर क्लिक करें। यह वॉलपेपर को स्क्रीन पर रखता है और आपका संदेश आसपास के लोगों को दिखाई नहीं देता है। व्हाट्सएप के अलावा फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे अन्य प्लेटफॉर्म के लिए भी मास्कचैट-हिडचैट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

क्या आपके Smartphone में भी है Virus? इन तरीकों से पाएं छुटकारा 

शनिवार, 5 नवंबर 2022

WhatsApp के जरिए भेजने पर खराब हो जाती है Photo Quality? करें ये settings

नवंबर 05, 2022 0

वॉट्सएप के जरिए भेजने पर खराब हो जाती है फोटो की क्वॉलिटी? अब नहीं होगा; इन सेटिंग्स को तुरंत बदलें


लोकप्रिय मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप का इस्तेमाल दुनिया भर में लाखों लोग चैटिंग और मीडिया शेयरिंग के लिए करते हैं। यूजर्स की शिकायत है कि जब व्हाट्सएप पर कोई फोटो शेयर की जाती है तो उसकी क्वालिटी गिर जाती है और उसे ओरिजनल क्वालिटी में शेयर नहीं किया जाता है। यूजर्स की इस शिकायत को दूर करते हुए कंपनी ने 'बेस्ट क्वालिटी' में फोटो भेजने का ऑप्शन रोल आउट किया है।


व्हाट्सएप यूजर्स को हाल ही में कई फीचर्स मिले हैं, जिनमें कम्युनिटी और इन-चैट पोल आदि शामिल हैं। साथ ही, अब 1,024 यूजर्स एक ग्रुप में शामिल हो सकते हैं और 32 यूजर्स को ग्रुप वीडियो कॉल का हिस्सा बनने का विकल्प दिया जा रहा है। लंबे इंतजार के बाद यूजर्स को फोटो अपलोड क्वालिटी में बदलाव का विकल्प भी दिया गया है। यानी आप यह चुन सकेंगे कि आपके फोटो किस क्वालिटी में भेजे जाएं।


अलग फोटो अपलोड गुणवत्ता 


मेटा के स्वामित्व वाले ऐप ने उपयोगकर्ताओं को सेटिंग्स में एक समर्पित फोटो अपलोड गुणवत्ता अनुभाग दिया है। यहां उपयोगकर्ता चुन सकते हैं कि वे अपने मित्रों और संपर्कों को 'सर्वोत्तम गुणवत्ता' में तस्वीरें भेजना चाहते हैं या नहीं। यहां दूसरा विकल्प 'डेटा सेवर' नाम से दिया गया है। डेटा सेवर चुनने वालों की तस्वीरें कंप्रेस हो जाएंगी और ऐप चैटिंग के दौरान ज्यादा डेटा का इस्तेमाल नहीं करेगा।

क्या आपके Smartphone में भी है Virus? इन तरीकों से पाएं छुटकारा

तीसरा विकल्प है 'ऑटो' यानी नेटवर्क क्वालिटी के हिसाब से ऐप खुद तय करेगा कि फोटो बेस्ट क्वालिटी में भेजी जाए या नहीं। ध्यान रहे, 'बेस्ट क्वालिटी' में भेजे गए फोटो का साइज ज्यादा होगा और उन्हें अपलोड या डाउनलोड करने में भी ज्यादा समय लगेगा। अगर आप फोटो क्वालिटी से समझौता नहीं करना चाहते हैं तो अच्छा होगा कि आप पहले 'बेस्ट क्वालिटी' का विकल्प चुनें।


इन चरणों का पालन करके सेटिंग बदलें


WhatsApp पर अच्छी गुणवत्ता वाली तस्वीरें साझा करने के लिए, पहले ऐप को नवीनतम संस्करण में अपडेट करें और फिर नीचे दिए गए चरणों का पालन करें।


1. व्हाट्सएप ओपन करने के बाद तीन डॉट्स पर टैप करें और सेटिंग्स में जाएं।


2. यहां आपको 'स्टोरेज एंड डेटा' पर टैप करना होगा और स्क्रीन के नीचे 'फोटो अपलोड क्वालिटी' का विकल्प दिखाई देगा।


3. फोटो अपलोड क्वालिटी सेक्शन में जाकर आपको 'बेस्ट क्वालिटी' को सेलेक्ट करना है। डिफ़ॉल्ट रूप से यह सेटिंग स्वतः (अनुशंसित) पर सेट होती है।

अब Airtel Payment Bank का सारा काम WhatsApp पर होगा! ये है तरीका

अगर मोबाइल डेटा या इंटरनेट स्पीड आपके लिए कोई समस्या नहीं है तो सबसे अच्छी गुणवत्ता चुनने में कोई समस्या नहीं होगी। हाई-स्पीड इंटरनेट या वाईफाई के अभाव में फोटो भेजने में अधिक समय लगेगा और मोबाइल डेटा भी 'डेटा सेवर' मोड की तुलना में तेजी से खर्च होगा।

क्या आपके Smartphone में भी है Virus? इन तरीकों से पाएं छुटकारा

नवंबर 05, 2022 0


क्या आपके फोन में भी है वायरस? इन तरीकों से पाएं छुटकारा




Android एक बहुत ही सुरक्षित ऑपरेटिंग सिस्टम माना जाता है। इसके बाद भी कई बार एंड्रॉयड फोन में वायरस इंस्टाल हो जाते हैं। ऐसे में फोन को और सिक्योर रखने के लिए कई बार हम प्ले स्टोर के जरिए कई ऐप डाउनलोड कर लेते हैं। कई बार इतना कुछ करने के बाद भी हमारे फोन में वायरस आ जाता है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बताने जा रहे हैं, जिनकी मदद से आप अपने फोन में लगे वायरस को मिटा सकते हैं।

ऐसे करें वायरस की पहचान

अगर आपके फोन में अचानक से कई विज्ञापन दिखने लगें तो आप समझ जाते हैं कि आपके फोन में एक वायरस आ गया है। या फिर अगर आपको करप्ट डेटा एरर आने लगे तो हो सकता है कि आपके फोन में कोई वायरस आ गया हो। या जब आप फोन चला रहे होते हैं तो आपके फोन की स्पीड धीमी हो जाती है तो समझ लें कि आपके फोन में वायरस है।

इसे अवश्य पढ़ें -   PNR Status Check and Food Order on WhatsApp 

वायरस के नुकसान 

ये वायरस काफी खतरनाक साबित हो सकते हैं।

ये वायरस आपके सभी व्यक्तिगत डेटा को लिंक कर सकते हैं।

यह वायरल आपके फोन को हैंग कर सकता है।

इस तरह के वायरस आपके फोन को खराब भी कर सकते हैं।

वायरस आपके फोन की स्पीड को धीमा कर सकते हैं।

अगर आपके फोन में कोई वायरस है तो डेटा की खपत काफी बढ़ जाएगी।


वायरस को दूर करने के लिए अपनाएं ये टिप्स

आपको अपने फोन से वायरस को हटाने के लिए स्मार्टफोन को बंद करना होगा और सुरक्षित मोड में रिबूट करना होगा। उसके बाद आप फाइल को सेलेक्ट करके धीरे-धीरे उन्हें डिलीट कर सकते हैं। कोशिश करें कि किसी अन्य लिंक पर क्लिक न करें। 

वायरस को दूर करने के लिए आपको अपने फोन में रखे फालतू के ऐप्स को डिलीट करना होगा। कई बार हम जाने-अनजाने में गलत ऐप डाउनलोड कर लेते हैं। जिससे हमारे फोन में भी वायरस आ जाता है। अगर आपके होम स्क्रीन पर ऐसे ऐप्स आ रहे हैं जिन्हें आपने डाउनलोड नहीं किया है तो उन्हें तुरंत डिलीट कर दें।


शुक्रवार, 4 नवंबर 2022

WhatsApp Cyber Attack बचने के लिए तुरंत बदलें ये सेटिंग

नवंबर 04, 2022 0

फिर से सक्रिय हैं हैकर्स! साइबर अटैक से बचने के लिए व्हाट्सएप पर तुरंत बदलें ये सेटिंग



WhatsApp यूजर्स सावधान: अगर आप WhatsApp का इस्तेमाल करते हैं तो आपको सावधान रहने की जरूरत है। साइबर अटैकर आपके अकाउंट पर नजर रख सकते हैं। आइए बताते हैं अटैक से कैसे बचें

व्हाट्सएप यूजर्स को साइबर सुरक्षा अधिकारियों ने अपनी व्हाट्सएप सेटिंग्स में बदलाव करने की चेतावनी दी है। व्हाट्सएप पूरी दुनिया में लोकप्रिय है और यह अपने आप में एक चुंबक की तरह हैकर्स को आकर्षित करता है! यह एक बार में सैकड़ों हजारों उपयोगकर्ताओं को लक्षित करने का अवसर है; विभिन्न सुरक्षा जांचों के बावजूद, हैकर्स और स्कैमर्स हमेशा पहले से न सोचे-समझे उपयोगकर्ताओं पर हमला करने का एक तरीका ढूंढते हैं। ठगे जाने वालों को भारी नुकसान होता है। 

इसलिए, यदि आप अपने व्हाट्सएप अकाउंट के साथ एक भी गलती करते हैं, तो यह ऑनलाइन बदमाशों को कोशिश करने और फायदा उठाने के लिए आमंत्रित करेगा। इसलिए, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने व्हाट्सएप उपयोगकर्ताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए आगाह किया है कि वे ऐप में प्रदान की गई सर्वोत्तम संभव सुरक्षा सेटिंग्स का उपयोग करें। ऐसा न कर पाना आपको मुख्य लक्ष्य बना सकता है। हां, हम कोई अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करने के लिए नहीं कह रहे हैं, समाधान व्हाट्सएप के भीतर ही है। आपको बस इसे ऑन करना है।

सबसे महत्वपूर्ण सेटिंग्स में से एक जिसे आपको सक्रिय करना सुनिश्चित करना चाहिए, वह है दो-चरणीय सत्यापन। इस तरह, ठगे जाने या साइबर हमलों का शिकार होने की संभावनाओं को कई गुना कम किया जा सकता है। जानिए आपको क्या करना चाहिए।

जानिए व्हाट्सएप पर टू-स्टेप वेरिफिकेशन सेटिंग्स को कैसे एक्टिवेट करें

Step 1: सबसे पहले WhatsApp सेटिंग्स को ओपन करें।

चरण 2: इसके बाद अकाउंट पर टैप करें और टू-स्टेप वेरिफिकेशन ऑप्शन पर जाएं।

चरण 3: अब इसे सक्षम करें और अपनी पसंद का छह अंकों का पिन डालें और इसकी पुष्टि करें।

चरण 4: यदि आप एक ईमेल पता नहीं जोड़ना चाहते हैं, तो आपको एक ईमेल पता प्रदान करना होगा जिसे आप एक्सेस कर सकते हैं या स्किप पर टैप कर सकते हैं। फिर, अगला टैप करें।

चरण 5: अंत में, ईमेल पते की पुष्टि करें और सहेजें या हो गया पर टैप करें।

चरण 6: यह एक गार्ड के रूप में कार्य करेगा जो हैकर्स को आपके खाते तक पहुंचने से रोकेगा।

हालाँकि, कुछ अन्य महत्वपूर्ण सुरक्षा सेटिंग्स हैं जिनकी आपको जाँच नहीं करनी चाहिए। यह आपके व्हाट्सएप अकाउंट में सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत जोड़ता है।

आपके व्हाट्सएप के लिए अधिक सुरक्षा

दो-चरणीय सत्यापन प्रक्रिया के अलावा, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ भी स्क्रीन लॉक को कॉन्फ़िगर करने का सुझाव देते हैं।

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि आप अपने स्मार्टफोन को नियमित रूप से अपडेट करते हैं, तो आपको सेटिंग्स का अतिरिक्त ध्यान रखना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर आप नए फोन या डिवाइस पर व्हाट्सएप इंस्टॉल करते हैं, तो आपकी गोपनीयता या सुरक्षा सेटिंग्स रीसेट हो जाएंगी। इसलिए, आपको स्क्रीन लॉक जोड़ने या अन्य परिवर्तन करने की आवश्यकता हो सकती है।

साथ ही, बग और मैलवेयर को ठीक करने के लिए अपने डिवाइस और ऐप्स को नवीनतम सॉफ़्टवेयर पैच से अपडेट रखना सुनिश्चित करें

गुरुवार, 3 नवंबर 2022

WhatsApp पर अपनी तस्वीरों से बनाये क्रिएटिव स्टिकर्स

नवंबर 03, 2022 0

आप WhatsApp पर अपनी तस्वीरों से क्रिएटिव स्टिकर्स बना सकते हैं, जानें कैसे

WhatsApp: अगर पूछा जाए कि सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग एप्लिकेशन कौन सा है, तो लोग बिना किसी संदेह के सीधे व्हाट्सएप का नाम लेंगे। आज करोड़ों भारतीय लोग इस मैसेजिंग ऐप के जरिए एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं।

पहले व्हाट्सएप में फीचर बहुत कम थे, लेकिन धीरे-धीरे कई ऐसे फीचर अपडेट किए गए जिनका इस्तेमाल लगभग हर कोई करता है। उदाहरण के लिए, वीडियो कॉलिंग, मनी ट्रांसफर, इमोजी भेजना आदि।

व्हाट्सएप पर स्टिकर भेजने का भी इन दिनों चलन है। बहुत से लोग अपनी तस्वीर को स्टिकर में बदल देते हैं और दोस्तों, परिवार आदि को भेज देते हैं।

ऐसे में अगर आप नहीं जानते कि व्हाट्सएप पर खुद स्टिकर कैसे बनाते हैं तो हम आपको इस लेख में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं।

क्या है कस्टम स्टिकर ?

व्हाट्सएप स्टिकर बनाने से पहले आइए जानते हैं कि व्हाट्सएप कस्टम स्टिकर क्या है? दरअसल, कस्टम स्टिकर्स के जरिए आप किसी भी तस्वीर को अपने तरीके से मॉडिफाई कर दूसरे व्यक्ति को भेज सकते हैं। हालांकि, कहा जा रहा है कि यह फीचर सिर्फ वेब और डेस्कटॉप वर्जन के लिए व्हाट्सएप पर ही उपलब्ध है। यह फीचर इमोजी सेक्शन में उपलब्ध है जिसका आप इस्तेमाल कर सकते हैं।


अगर आपके मोबाइल में व्हाट्सएप नहीं है तो इसे प्ले स्टोर से डाउनलोड और इंस्टॉल करें।

इंस्टॉल करने के बाद मोबाइल नंबर डालकर व्हाट्सएप को एक्टिवेट करें।

इसके बाद मोबाइल में व्हाट्सएप वेब ओपन करें। 

व्हाट्सएप वेब ओपन करने के बाद आप उस चैट पर टैप करें जिसमें आप कस्टम स्टिकर्स भेजना चाहते हैं।

इसके बाद आपको अटैचमेंट आइकन पर क्लिक करना होगा। जैसे ही आप अटैचमेंट आइकन पर क्लिक करते हैं, आपको एक तस्वीर, संपर्क और स्टिकर संलग्न करने का विकल्प दिखाई देगा।

अटैचमेंट विकल्प पर क्लिक करके वह तस्वीर चुनें जिसे आप भेजना चाहते हैं।

अब आप अपनी पसंद के अनुसार फोटो को एडिट और एडजस्ट कर सकते हैं। इसके अलावा तस्वीर के ऊपर कुछ इमोजी भी अटैच किए जा सकते हैं।

एक बार जब आप तस्वीर को संपादित करना समाप्त कर लेते हैं, तो आप इसे सेंड विकल्प का चयन करके भेज सकते हैं। 


इस बेहतरीन फीचर का इस्तेमाल आप कंप्यूटर, लैपटॉप या टैबलेट के जरिए कर सकते हैं। 

बुधवार, 2 नवंबर 2022

Chandra Grahan 2022: करें इन नियमों का पालन मिलेगा पुण्य फल

नवंबर 02, 2022 0

चंद्र ग्रहण 2022: ग्रहण में करें इन नियमों का पालन मिलेगा पुण्य  फल 



साल का आखिरी चंद्र ग्रहण 8 नवंबर मंगलवार को पड़ेगा। चंद्र ग्रहण के व्रत के नियमों के बारे में कुछ बातें साझा करने जा रहे हैं। 

चंद्र ग्रहण उपवास विधि ग्रहण से पहले स्नान करें। स्नान करने के बाद व्रत करें। इष्ट का स्मरण करें। प्रभु की आराधना करें। चंद्र ग्रहण काल ​​में घर में शांति का वातावरण बनाए रखें। 

इस दौरान खाद्य पदार्थ में तुलसी अवश्य चढ़ाएं। गर्भवती महिलाएं नारियल के गोले खा सकती हैं। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिला के अलावा सदस्यों को कुछ भी खाना या पकाना नहीं चाहिए।
 

ग्रहण काल ​​में अपने मन में केवल सात्विक विचार ही रखें। चंद्र ग्रहण काल ​​में सोना भी वर्जित माना गया है। चंद्र ग्रहण के दौरान किसी भी नुकीली चीज को न छुएं अशांति और कलह हो सकती है। 

चंद्र ग्रहण व्रत पारन विधि चंद्र ग्रहण के बाद गंगाजल से घर की शुद्धि करें। पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव अवश्य करें। खाना बनाने से पहले मां अन्नपूर्णा का भी ध्यान करें। भोजन तैयार होने के बाद पहले भगवान को भोग लगाएं और फिर व्रत तोड़ें। 

Dev Uthani Ekadashi 2022: जानें तिथि, मुहूर्त, पारण समय

नवंबर 02, 2022 0

देव उठानी एकादशी 2022

पूजा और पारण का समय क्या है?




कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हिंदू कैलेंडर के अनुसार  देव उठानी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसे प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। इसी दिन चातुर्मास समाप्त होता है क्योंकि इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु चार मास की योग निद्रा से बाहर आते हैं। 

इसी दिन भगवान विष्णु फिर से सृष्टि को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी लेते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने का विधान है। देवउठनी एकादशी से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। ज्योतिष अनुसार जानते हैं कि देवउठनी एकादशी का व्रत कब है और पूजा और पारण का समय क्या है? 


पंचांग के अनुसार देवउठनी एकादशी 2022 कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि गुरुवार 03 नवंबर को सायं 07.30 बजे से प्रारंभ हो रही है. यह तिथि अगले दिन शुक्रवार, 04 अक्टूबर को शाम 06:08 बजे समाप्त होगी. तिथि के आधार पर 04 नवंबर को देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा. 

देवउठनी एकादशी 2022 पूजा मुहूर्त 

04 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन आपको सुबह 06:35 से 10:42 बजे के बीच भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस समय भी प्रातः 07:57 से 09:20 तक लाभ-अग्रिम मुहूर्त है और प्रातः 09:20 से प्रातः 10:42 तक अमृत-उत्तम मुहूर्त है। 

देवउठनी एकादशी पारण समय 2022 

शनिवार 05 नवंबर को देवउठनी एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा. इस दिन पारण सुबह 06:36 से सुबह 08:47 बजे तक करना चाहिए. इस दिन द्वादशी तिथि शाम 05:06 बजे समाप्त होगी। देवउठनी एकादशी का महत्व मांगलिक कार्यों की दृष्टि से देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि इसी तिथि से मांगलिक कार्य जैसे विवाह, हजामत बनाने, गृह प्रवेश, सगाई आदि कार्य शुरू होते हैं। 



चार महीने तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक क्योंकि भगवान विष्णु इन चार महीनों तक योग निद्रा में रहते हैं। देवउठनी एकादशी का व्रत करने और भगवान विष्णु की आराधना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इसी दिन तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाता है। तुलसी विवाह करने से दांपत्य जीवन की परेशानियां भी दूर होती हैं। देवउठनी एकादशी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 

Dev Diwali 2022: शुभ मुहूर्त और महत्व दो योगों का महासंयोग

नवंबर 02, 2022 0

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन देव दीपावली

पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व 


हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन देव दीपावली मनाई जाती है. गंगा नदी के तट पर वाराणसी में विशेष रूप से पूजा और दीपदान किया जाता है। ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और मां गंगा की कृपा भी प्राप्त होती है। 



इस दिन दीपों की रोशनी से काशी के सभी मंदिर और घाट जगमगाते हैं। धार्मिक मान्यताओंनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन सभी देवी-देवता काशी में दीपक जलाते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं। 

ज्योतिष अनुसार देव दीपावली की तिथि और समय के बारे में जानते हैं। देव दीपावली तिथि 2022 हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 07 नवंबर सोमवार को सायं 04:15 बजे से प्रारंभ हो रही है और यह तिथि अगले दिन 08 नवंबर को सायं 04.31 बजे तक रहेगी. देव के लिए दीपावली, कार्तिक पूर्णिमा तिथि को प्रदोष काल में 07 नवंबर को मुहूर्त प्राप्त हो रहा है, इसलिए 07 नवंबर को देव दीपावली मनाई जाएगी

देव दीपावली मुहूर्त 2022 

शुभ मुहूर्त 07 नवंबर को देव दीपावली शाम 05:14 से शाम 07:49 तक है. इस दिन देव दीपावली के लिए ढाई घंटे से अधिक का शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहा है. सिद्ध और रवि योग में देव दीपावली देव दीपावली के अवसर पर रवि योग और सिद्ध योग बन रहे हैं। 

सिद्ध योग 07 नवंबर को सुबह से 10.37 मिनट तक है। इस दिन रवि योग सुबह 06:37 से रात 12:37 तक है। ये दोनों योग शुभ कार्यों के लिए बहुत शुभ माने जाते हैं।
 


देव दीपावली का धार्मिक महत्व पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब त्रिपुरसुर राक्षस के अत्याचार और अधर्म के कारण तीनों लोकों में हाहाकार मच गया, तो सभी देवताओं ने भगवान शिव से इससे छुटकारा पाने की प्रार्थना की। 

कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया था। इससे प्रसन्न होकर सभी देवी-देवता भगवान शिव की नगरी काशी में आ गए। सभी ने जश्न मनाया और दीपदान किया। तब से हर साल कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली मनाई जाती है। 


माना जाता है कि हर साल कार्तिक पूर्णिमा को सभी देवी-देवता काशी आते हैं और दीप दान करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को काशी में शिव की पूजा और दीपदान का विशेष महत्व है।