बुधवार, 14 दिसंबर 2022

कब है Rukmini Ashtami 2022: रुक्मिणी अष्टमी पूजा विधि और महत्व

कब है Rukmini Ashtami 2022: रुक्मिणी अष्टमी पूजा विधि और महत्व



आज बात करते हैं रुक्मिणी अष्टमी के बारे में जो कि कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है और इस दिन माता रुक्मिणी देवी के नाम से व्रत रखा जाता है, उनकी पूजा आराधना की जाती है, साथ ही भगवान श्री कृष्ण की पूजा का भी इसमें एक विधान है और उनकी पूजा भी की जाती है. द्वापर युग में माता रुक्मिणी का जन्म हुआ था और माँ लक्ष्मी का इनको अवतार कहते हैं, इस दिन जो व्रत रखता है तो माँ लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त करता है साथ ही साथ क्योंकि माता लक्ष्मी का अवतार मानी गई है देवी रुक्मिणी देवी.





भक्तों की उचित मनोकामना को पूर्ण करती हैं.

बात करेंगे अह इनकी पूजा विधि के बारे में और शुभ मुहूर्त के बारे में तो अष्टमी तिथि जो आ रही है वो आ रही है सोलह दिसंबर दो हजार बाईस को शुक्रवार को दिन शुक्रवार है, तो इसी दिन ही अह धनु संक्रांति मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, कालाष्टमी भी इसी दिन ही है और साथ ही साथ बहुत बड़ा संयोग ये बन पड़ा है देखिए इतने सारे व्रत त्योहारों के साथ ही साथ अह ये की शुरुआत हो रही है और खरमास में प्रभु की भक्ति, उनकी आराधना, कथा, प्रवचन ये सब हम भरपूर मात्रा में सुन सकते हैं, करा सकते हैं.

प्रभु की भक्ति पा सकते हैं. अपने जीवन का जो एक महत्वपूर्ण पल है ये खरमास. जिसमें हम अपने जीवन के लिए संपन्नता और आर्थिक रूप से प्रबल होने की इच्छा और अपने भाग्य को प्रबल बनाने के लिए अग्रसर रहते हैं. प्रयास कर सकते हैं और तत्पर हमें रहना चाहिए.

खरमास के बारे में मैंने वैसे वीडियो पूरी बना रखी है मेरे यूट्यूब चैनल में तो वहां पे आप जा के इसको सुन लीजिएगा खरमास की वीडियो है इसमें हम बात करेंगे रुक्मिणी अष्टमी के बारे में ही तो सोलह तारीख को ये रुक्मिणी अष्टमी का जो व्रत है वो रखा जाएगा शुक्रवार के दिन बहुत ही माता लक्ष्मी का वार माना जाता है शुक्रवार और उसी दिन ही ये व्रत आ रहा है तो प्रभु श्री कृष्ण की साथ में आप पूजा करेंगे तो साथ में एक ये भी हो जाएगा कि माँ श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन ही का दिन है वो और साथ ही साथ सहयोग ये बना बन पड़ा है कि रुक्मिणी देवी की पूजा के साथ श्री कृष्ण भगवान जी की पूजा का भी विधान होता है तो ये सब कुछ एक ही उसमें आप मतलब सोने पे सुहागा वाला काम हो जाएगा.

पूजा मुहूर्त के बारे में बात करें तो जैसे कि बताया सोलह दिसंबर को सुबह एक बजकर उनतालीस मिनट से शुरुआत हो रही है जो पूजा मुहूर्त की तो सुबह ही एक बजकर उनतालीस मिनट से ये हो जाएगा आरंभ.

इसका जो समापन है वो सत्रह दिसंबर को तीन बजकर दो मिनट पर होगा. साथ ही अभिजीत मुहूर्त है बारह बजकर दो मिनट से बारह बजकर तैंतालीस मिनट तक तो काफी अ बहुत ही महत्वपूर्ण तिथियाँ बंद पड़ी हैं और सहयोग भी ऐसा बंद पड़ा है. बस ये है कि भक्ति और शक्ति का एक समावेश है जो कि हमें और हमारे जीवन को उज्जवल बनाने में सहायक होगा.

अब महत्व बताएं तो इनका महत्व क्या है? सबसे बड़ी बात तो महत्व में ये आती है कि माता लक्ष्मी जो है धन की देवी हैं और रुक्मिणी जी उनका अवतार हैं माता लक्ष्मी का तो अह रुक्मिणी माता का जो अह जो शरीर है उन पे लक्ष्मी माता के ही लक्षण दिखाई देते हैं और लोग इन्हें लक्ष्म स्वरूपा भी कहते हैं तो मान्यता यही है कि जो भी स्त्री या पुरुष और खासकर स्त्रियों के बारे में ये क्योंकि स्त्रियां जो है अगर माता रुक्मिणी देवी का व्रत रखती हैं और ये अष्टमी तिथि जो है माँ जगदंबे को अह उनकी पूजा अर्चना करने का एक बहुत बेहतरीन अह घड़ी होती है, शुभ तिथि होती है अष्टमी तिथि और माता को बहुत ही प्रिय है तो ये जो व्रत है उस दिन तो उसपे जो भी स्त्री ये करती है उनको कठिनाइयों उसका सामना करना नहीं पड़ता और अगर कठिनाइयाँ आ भी रही है तो माता का नाम लेने से उनकी भक्ति निरंतर करने से उनकी कठिनाइयाँ भी दूर हो जाती है और समस्याएँ जो पारिवारिक होती है या कुछ आर्थिक होती है वो सब धीरे-धीरे सही-सही होने लगता है तो मनोकामनाएं तो पूर्ण होती ही है माता तो मनोकामनाएं पूर्ण करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ती और ये सब विदित है आप सबको कि माँ की भक्ति से हमें क्या-क्या प्राप्त हो सकता है हमें वो चीज भी प्राप्त हो सकती है जो कि क्या कहते हैं हमारे लिए हमने सोचा भी नहीं होगा कि हमें इतना मिल जाएगा माँ पूरी झोलियाँ भर-भर के देती है तो माता रानी का आशीर्वाद हमेशा ही रहता है आप व्रत करते हैं नहीं करते वो अलग बात है मगर आप माता का नाम भी लेते हैं तो उससे भी काफी अह जीवन बहुत असर पड़ता है बहुत से कष्टों से निजात पाए जाते हैं। अब बात करते हैं पूजा विधि के बारे में तो ब्रह्म मुहूर्त में ही ये चालू ही हो रहा है अगर देखा जाए तो इसका एक बजकर एक बजकर उनतालीस मिनट से ये आरंभ हो रही है। वैसे अगर ये देखा जाए तो ब्रह्म मुहूर्त में आप स्नान वगैरह कर लें, उससे निवृत हो के अह जो भी आप इच्छित आपने वस्त्र धारण करना चाहते हैं, आभूषण भी अगर आप धारण कर लें, उस दिन तो बहुत अच्छा रहेगा। पूरा आभूषण साथ स्त्रियां अपना श्रृंगार करके इस व्रत को धारण करें इस दिन आप तुलसी माता को दे सकते हैं। तुलसी में माता लक्ष्मी जी का ही वास होता है, साथ ही साथ गंगाजल का छिड़काव कर आप चौकी स्थापित कर लें, उसमें लाल रंग का कपड़ा बिछा लें। और भगवान गणेश की स्थापना सर्वप्रथम करेंगे। आप उसके बाद आप भगवान श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी की मूर्ति को स्थापित करेंगे, साथ ही शुद्ध से जल से भरा हुआ अह तांबे का जो है कलश वो आप अह रख सकते हैं अपने पास तांबे का ना हो, मिट्टी का हो कोई भी आप एक कलश आप रखें अपने साथ उसमें अह पत्ते जो होते हैं, अशोक के पत्ते मिल जाएंगे। आम के पत्ते बहुत ही ज्यादा शुभ माने जाते हैं, तो आम का पत्ता अगर आपको मिल जाता है, तो उस कलश में आप रखें उसको उसके साथ ही जब आप पूजा आरंभ करेंगे तो अह सबसे पहले भगवान गणेश जी का ध्यान करेंगे, उसके बाद ही आप भगवान श्री कृष्ण और माता रुक्मिणी जी देवी जी का अह ध्यान करेंगे, स्नान अभिषेक आप कर सकते हैं उनका फल-फूल, रोली-मोली चावल रखना बहुत ही जरूरी है उसमें चांदी का सिक्का हो आप डाल सकते हैं चावल के अंदर.

लौंग सुपारी जो भी आपके पास उपलब्ध हो धूप, दीप, चन्दन, अक्षत ये सब अर्पित करेंगे.

भगवान श्री कृष्ण को पीले वस्त्र बहुत पसंद हैं तो उनको वो चीज आप वही वस्त्र अर्पित करें.

उनसे ही श्रृंगार करें उनका. माता को लाल वस्त्र पसंद हैं उनको लाल वस्त्र से सज्जित करें.

जो भी है वो आप अर्पित कर सकते हैं.

करना भी चाहिए श्रृंगार आप ले सकते हैं बना-बनाया भी मिल जाता है.

व्रत की कथा सुने, आरती करें माता माता-पिता की साथ ही आप खीर का जो है वो भोग लगा सकते हैं, माता अह रुक्मिणी के इस व्रत में खीर का भोग अति उत्तम रहेगा, ये प्रसाद के रूप में आप वितरण कर सकते हैं पूरे घर में फिर जो दूसरा दिन होता है एक पारण समय कहते हैं जैसे कि एकादशी व्रत में होता है. उसी तरह का एक पारण होता है. उसमें आप गाय को सर्वप्रथम भोजन देने के बाद ही आप भोजन ग्रहण करें. दूसरे दिन की बात कह रहा हूँ मैं. तो इस तरह से माता रुक्मणी देवी का जो है व्रत किया जाता है और विधान इस तरह का है व्रत को रखने का.

तो मनोवांछित और उचित फल को हम प्राप्त कर जाएंगे और माता लक्ष्मी की कृपा हम पे सदैव बनी रहे इसी शुभकामनाओं के साथ इस वीडियो को यहीं विराम देंगे. अगर वीडियो आपको अच्छी लगती है आपने पूरी सुनते हैं वीडियो और पसंद है आपको ये सब. आं वीडियो हमारी तो बहुत-बहुत धन्यवाद. चैनल को आप सब्सक्राइब कर सकते हैं अगर चैनल पे नए हैं तो.





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