मां अन्नपूर्णा देवी की पूजा करने से घर में नहीं होती धन-धान्य की कमी | #annpurnajyanti
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नमस्कार मैं दान सिंह बिष्ट आपका स्वागत करता हूँ आपके अपने यूट्यूब चैनल उत्तराखंड ऑनलाइन में आज अन्नपूर्णा जयंती है और अन्नपूर्णा जयंती के महत्व के बारे में बात करेंगे अन्नपूर्णा जयंती कब मनाई जाती है और क्या अह कारण है इसको मनाने का के पीछे उन सभी के बारे में आज बात करेंगे तो माता अन्नपूर्णा जयंती की आप सभी को पहले तो बहुत सारी ढेर सारी शुभकामनाएं हार्दिक बधाइयाँ बात करते हैं माता अन्नपूर्णा जयंती कब मनाई जाती है? तो मंगसीर मास की पूर्णिमा के दिन ये मनाई जाती है मंगसीर मास की जो पूर्णिमा आती है उस दिन इसका अह व्रत भी रखते हैं बहुत सारे लोग और माता उनकी पूजा भी करते हैं जो व्रत नहीं रखते वो केवल पूजा ही करते हैं और जो व्रत रखते हैं वो अह पूरा व्रत रखने रखते हैं इसका और क्या कहते हैं माता अन्नपूर्णा की अह सांझ टाइम में पूजा करते हैं। जैसा कि एक नॉर्मल व्रत रखा जाता है उसी तरह का ये व्रत होता है मगर ये व्रत कहाँ पे अह इसकी होती है मैं आपको बताऊंगा तो मंदिर में तो आप हरदम ही करते हैं पूजा तो मैं बताऊंगा कि कहाँ पे इसकी पूजा की जाएगी अब जो अह श्रद्धालु होते हैं वो अह देवी की पूजा तो करते ही हैं और उनके घर में धन धान्य की कभी कमी नहीं होती है। आप देखते होंगे कि कभी हम बहुत सारा, पूरा अपने महीने के राशन तो ले आते हैं मगर कभी-कभार वो बहुत जल्दी-जल्दी ऐसा लगता है बहुत जल्दी-जल्दी खत्म हो रहा है। तो वही चीज नहीं होने देती माता और आपके धन-धान को भरपूर रखती है। और आप कभी शब्द को नहीं कहेंगे क्योंकि बहुत लोगों से आपने सुना होगा कि अभी तो लाए थे, अभी खत्म हो गया राशन अभी लाए थे, अभी खत्म हो गई, ये चीज लाए थे, खत्म हो गए, तो वो चीज आपको उस चीज की परेशान नहीं होने देगी और अगर धन की थोड़ी कमी भी है तब भी आपके पास अह साधन रहेगा कि आपको किसी से मांगना नहीं पड़ेगा धन की बात करें तो तो इस तरह का जो है माँ अन्नपूर्णा की उस तरह की जो कृपा है एक वो बनी रहती है उनके श्रद्धालुओं पे अब सबसे बड़ी बात है कि इनकी पूजा कहाँ पे करें, मंदिर में इनकी पूजा नहीं होती है, मंदिर में जो अह मंदिर है वहाँ पे आप धूपबत्ती करके रख लें उसके बाद सबसे पहले नहा-धो के आप रसोई में आ जाएं और रसोई में आने के बाद अह गंगाजल से छिड़काव करें, वहाँ पे अच्छा साफ-सुथरा माहौल आप बना लेंगे उसके बाद जो भी पूजा सामग्री है, धूप में जो भी आप आपकी इच्छा के अनुसार जो भी आप करना चाहते हैं। तो अह शहरों में तो गैस वगैरह है तो यहाँ पे चूल्हे के ऊपर नहीं हो सकता हालांकि इसका चूल्हे के ऊपर ही धूप, दीप, भांति, जला के फल, फूल जो भी चढ़ाना चाहते हैं भोग, नव जो भी आप करना चाहते हैं, जिस हिसाब से पूजा वो कर सकते हैं, चूल्हे के ऊपर होता है ये। गाँव में चूल्हे बने होते हैं, मिट्टी के लेते हुए। उनमें ये बहुत अच्छी तरह और भली भांति अन्नपूर्णा माता की पूजा होती है, मगर शहरों में ये है थोड़ा अलग है इसका हिसाब शहरों में क्या करते हैं कि गैस है, सिलेंडर है, गैस पे खाना बनाते हैं लोग तो उसमें क्या होता है कि आप गैस में तो नहीं साइड में आप वो दिया वगैरह जला लें। हालांकि गैस में भी इतना वो होता है मगर ठीक है साइड में आप कर लें गैस के थोड़ा सेफ्टी के साथ और वहीं आप तिलक वगैरह कर सकते हैं गैस के ऊपर तिलक वगैरह करके फूल वगैरह चढ़ा दे वहाँ पे और दिए के पास भी थोड़ा फूल रख दे और फल फूल वगैरह भी आप उसमें रख सकते हैं पीली मिठाई हो वो भी आप अर्पित कर सकते हैं आज गुरुवार है आठ दिसंबर को और आज ही अन्नपूर्णा जयंती है तो अ मंगसीर मास की पूर्णिमा को ही अन्नपूर्ण जयंती मनाई जाती है इसी दिन ही माता ने अवतार लिया था अपना जीवों के भरण-पोषण के लिए इस संसार में तो ये इनकी पूजा विधि है बहुत बड़ी-बड़ी पूजा विधियाँ नहीं बताऊंगा आपको जो आप रोजाना करते हैं उस तरह से जो आपके मन में आता है ऐसा वो कर सकते हैं आप बाकी जो पौराणिक कथा है तो अह उस कथा में यही आता है वर्णन कि अन्न और जल का जब आकाल पड़ गया पृथ्वी पर तो संसार के प्राणियों में संकट पैदा हो गया था और लोग भूख की कमी से मरने लगे थे, अन्न की कमी से मरने लगे थे, त्रासदी इतनी बढ़ गई कि अह भगवान ब्रह्मा और विष्णु की आराधना की ओर लोगों ने बढ़ना चालू किया और अपनी समस्या उनको कही तो ब्रह्मा और विष्णु जी ने अह शिवजी को योग निद्रा से जगाया। और सम्पूर्ण समस्या से उनको अवगत कराया समस्या बहुत गंभीर थी इसको जानकर महादेव ने पृथ्वी अह का जो है निरीक्षण भी किया है और कि क्या किस तरह से स्थिति बनी हुई है तो उसी समय माता अह पार्वती ने अन्नपूर्णा देवी का रूप लिया और शिव जी ने अन्नपूर्णा देवी से चावल भिक्षा में मांगे थे और उन्हें भूख के पीड़ित लोगों के मध्य अह वितरित करा दिया प्रसाद स्वरूप तो एक तस्वीर भी है जिसमें अह भगवान शिव माता अन्नपूर्णा से भिक्षा ले रहे हैं, तो वो भिक्षा इसीलिए ली गई थी और इस दिन से अह पृथ्वी पर अन्नपूर्णा जयंती का जो है ये त्यौहार ये पर्व मनाया जाता है बता दें कि पूर्णिमा की जो तिथि है वो सात दिसंबर को आठ बजकर एक मिनट से शुरू हो गई है और अगले दिन आठ दिसंबर को नौ बजकर सैंतीस मिनट तक पूर्ण तिथि की समाप्ति हो गई.
मगर ऐसा है कि अन्नपूर्णा जयंती आज ही मनाई जा रही है और आज ही मनाई जाएगी अन्नपूर्णा जयंती जो है आज ही है.
हालांकि पूर्णिमा की तिथि सात दिसंबर को ही आरंभ हो गई थी आठ बजकर एक मिनट तो ये थी कुछ कथा जो कि बताई जाती है जो कि पौराणिक कथाएं हैं और आप माँ अन्नपूर्णा जयंती का व्रत रखा है या उनकी पाठ पूजा की है। तो यकीन रखिए कि धन्य दान की कमी होने वाली नहीं है। किसी भी तरह से, वैसे भी मैंने देखा है कि ये तो आज का दिन है कि माता अन्नपूर्णा जयंती है तो वैसे भी मगर माता किसी के लिए कभी कोई कसर नहीं छोड़ती। आप उनकी पूजा कर रहे हैं, नहीं कर रही है, ऐसा कुछ नहीं है कि जो पूजा ही कर रहा है वो इसी को ही मिल रहा है, ऐसा भी नहीं है, मगर ठीक है अगर कोई दिक्कतें आपके घर में आ रही हैं, कोई परेशानी, धन धान्य से संबंधित तो आप इस अह व्रत को रख सकते हैं। और माता अन्नपूर्णा के इस त्यौहार का लुप्त उठा सकते हैं, इस त्यौहार को अपने मन में बसाकर उनकी पूजा-भक्ति करके अपने लिए एक अभिष्ठ वरदान प्राप्त कर सकते हैं, माता अन्नपूर्णा से, तो सभी को माता अन्नपूर्णा जयंती की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ वीडियो को यहीं मैं विराम देना चाहूंगा।
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