उत्तराखंड में कुल पांच केदार हैं, जिन्हें पंच केदार के नाम से जाना जाता है। ये पांच मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं और हिमालय की गोद में स्थित हैं।
- केदारनाथ: यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और भगवान शिव के सदाशिव रूप को समर्पित है।
- तुंगनाथ: यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यह भगवान शिव के भुजंग रूप को समर्पित है।
- मध्यमहेश्वर: यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। यह भगवान शिव के नाभि रूप को समर्पित है।
- रुद्रनाथ: यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यह भगवान शिव के मुख रूप को समर्पित है।
- कल्पेश्वर: यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यह भगवान शिव के शीर्ष रूप को समर्पित है।
पंच केदार की तीर्थयात्रा एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा है जो हर साल हजारों श्रद्धालुओं द्वारा की जाती है। यह यात्रा आमतौर पर चार धाम यात्रा के साथ की जाती है।
पंच केदार के बारे में एक लोकप्रिय पौराणिक कथा है कि जब पांडवों ने महाभारत के युद्ध में अपने सगे-संबंधियों को मार दिया, तो उन्होंने भगवान शिव से अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए प्रार्थना की। भगवान शिव ने एक बैल का रूप धारण किया और पांडवों को दूर ले गए। जब भीम ने बैल को पकड़ने की कोशिश की, तो वह गायब हो गया। बैल के शरीर के पांच हिस्से पांच स्थानों पर प्रकट हुए, जो आज पंच केदार के रूप में जाने जाते हैं।
केदारनाथ में भगवान शिव के पिछले भाग का दर्शन होता है। यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है।
तुंगनाथ में भगवान शिव के भुजाओं का दर्शन होता है। यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है और दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है।
मध्यमहेश्वर में भगवान शिव के पेट का दर्शन होता है। यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है।
रुद्रनाथ में भगवान शिव के मुख का दर्शन होता है। यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है।
कल्पेश्वर में भगवान शिव के शीर्ष का दर्शन होता है। यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है।
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पंच केदार की तीर्थयात्रा एक महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा है जो हर साल हजारों श्रद्धालुओं द्वारा की जाती है। यह यात्रा आमतौर पर चार धाम यात्रा के साथ की जाती है।
पंच केदार की पौराणिक कथा एक शानदार कहानी है जो भगवान शिव की शक्ति और दया को दर्शाती है। यह कहानी यह भी सिखाती है कि भगवान शिव हमेशा अपने भक्तों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं, भले ही वे कितने भी पापी क्यों न हों।
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