भारत का आखरी गॉंव माणा जिसे मणिभद्रपुरी के नाम से भी जाना जाता है।माणा सुन्दर शांत वातावरण की एक मिशाल है यहाँ से कुछ ही दुरी पर सरस्वती नदी है इस पर बने पुल को भीम पुल के नाम से जाना जाता है।
मान्यता है की जब पाण्डव स्वर्ग को जा रहे थे तो उन्होंने सरस्वती नदी से आगे जाने के लिए रास्ता माँगा क्युंकि सरस्वती नदी अपने पूर्ण वेग पर थी और सरस्वती जी ने उन्हें मार्ग नहीं दिया जिस कारणवस् भीम ने दो विशाल शिलाओं को नदी के ऊपर पुल स्वरुप रख दिया जिससे इस पुल का नाम सदा के लिए भीम पुल पड़ गया।
सरस्वती नदी से कुछ ही दूर अलकनन्दा नदी है और सरस्वती नदी अलकनन्दा में लीन हो जाती है। सरस्वती नदी का समागम स्थल ज्ञात नहीं होता केवल नदी नीचे की ओर जाती दिखती मात्र है। कहा जाता है की भीम ने जब अपनी गदा को जमीन पर मारा तो यह नदी पाताल में चली गयी।
सरस्वती नदी के बारे में एक दन्त कथा है की जब गणेश जी वेद लिख रहे थे तो नदी का शोर उन्हें विचलित कर रहा था उन्होंने सरस्वती जी से अपने वेग को कम कर शांत होने को कहा मगर नदी का शोर कम ना हुआ तभी गणेश जी ने उन्हें श्राप दिया की इससे आगे आप किसी को नजर नहीं आओगी। भीम पुल के पास आज भी नदी का वेग और शोर बहुत अधिक है।
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