भगवान के पूजन के लिए अनेक प्रकार की सामग्री उपयोग में लाई जाती है।अष्टगंध उन्हीं में से एक है अष्टगन्ध। अष्टगंध के रूप में इन आठ पदार्थ को मानते है-चन्दन, अगर, ह्रीवेर, कुष्ठ, कुंकुम, सेव्यका, जटामांसी, मुर। ये आठ जड़ीबूटियां ऐसी है जिन्हें देवताओं की भी प्रिय मानी जाती है। इनमें से जटामांसी एक औषधीय गुणों से भरी जड़ीबूटी है। इस जड़ को आयुर्वेदिक में बहुत गुणकारी और उपयोगी माना गया है आइए जानते है जटामासी के कुछ आयुर्वेदिक प्रयोग
- एक चम्मच जटामासी में शहद का घोल मिला कर इसका सेवन करने से ब्लडप्रेशर को ठीक करके सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है।
- दांतों में दर्द हो तो जटामासी के महीन पाउडर से मंजन कीजिए।
- इसका शरबत दिल को मजबूत बनाता है, और शरीर में कहीं भी जमे हुए कफ को बाहर निकालता है।
- मासिक धर्म के समय होने वाले कष्ट को जटामासी का काढ़ा खत्म करता है।
- मस्तिष्क और नाड़ियों के रोगों के लिए ये रामबाण औषधि है, ये धीमे लेकिन प्रभावशाली ढंग से काम करती है।
- पागलपन , हिस्टीरिया, मन बेचैन होना, याददाश्त कम होना,इन सारे रोगों की यही अचूक दवा है।
- ये त्रिदोष को भी शांत करती है और सन्निपात के लक्षण खत्म करती है। इसके सेवन से बाल काले और लम्बे होते है।
- इसके काढ़े को रोजाना पीने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
- चर्म रोग और सोरायसिस में भी इसका लेप फायदा पहुंचाता है।
- एक चम्मच जटामासी में शहद का घोल मिला कर इसका सेवन करने से ब्लडप्रेशर को ठीक करके सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है।
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