मंगलवार, 11 जुलाई 2023

Uttarakhand mausam सावन में बारिस से हुआ बुरा हाल

जुलाई 11, 2023 0



उत्तराखंड मौसम: मूसलाधार बारिश बनी आफत, हरिद्वार में गंगा उफान पर; इन जिलों में आज भारी बारिश की चेतावनी

उत्तराखंड में पिछले सात दिनों से मूसलाधार बारिश जारी है। उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश आफत बन गई है. देहरादून में सोमवार रात से बारिश हो रही है. अगले दो दिनों तक भारी बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है.

उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश आफत बन गई है। वहीं, ज्यादातर इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश हो रही है, जबकि कुछ जगहों पर भारी बारिश दर्ज की जा रही है. नदियों का बढ़ा जलस्तर आसपास के जनजीवन पर खतरा पैदा कर रहा है तथा जगह जगह पर भूस्खलन हो रहा है. देहरादून में सोमवार रात से बारिश हो रही है. जगह-जगह जलभराव है।

हरिद्वार में गंगा उफान पर है
पहाड़ी और मैदानी इलाकों में अधिक बारिश के कारण हरिद्वार में गंगा उफान पर है। हालांकि अभी यह चेतावनी स्तर 293 मीटर से 30 सेमी नीचे बह रही है। प्रशासन अलर्ट मोड पर है. मूसलाधार बारिश जारी है और बारिश से जलभराव हो गया है.

कोटद्वार में नदियों का जलस्तर बढ़ा
कोटद्वार और आसपास के क्षेत्रों में रुक-रुक कर बारिश का सिलसिला लगातार जारी है। मंगलवार तड़के से ही इलाके में भारी बारिश हो रही है, जिससे नदियों का जलस्तर भी बढ़ गया है. बारिश के कारण क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर संपर्क मार्ग बंद हो गए हैं। फिलहाल एनएच पर यातायात सुचारू है। लेकिन, बारिश के कारण चट्टानों से बोल्डर गिरने का खतरा बना हुआ है. भारी बारिश के कारण सुबह से ही इलाके में बिजली आपूर्ति बाधित है.


कालापानी में भारी भूस्खलन
पिथौरागढ़ में चीन-नेपाल सीमा से लगे क्षेत्र में भारी बारिश से नाले उफान पर आ गए. कालापानी में नाले ने कहर बरपाया। कालापानी में उफनते नाले के कारण हुए भूस्खलन से पांच परिवारों की बकरियां मलबे में दब गई हैं। ग्रामीण बाल-बाल बच गए।

कई जिलों में भारी बारिश की चेतावनी
देहरादून, नैनीताल समेत कई जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है. इसके अलावा अन्य जिलों में भी भारी बारिश की संभावना है.

सात दिनों से मूसलाधार बारिश जारी है
उत्तराखंड में पिछले सात दिनों से मूसलाधार बारिश जारी है. पहाड़ों से लेकर मैदानों तक मध्यम से भारी बारिश हो रही है और नदियों का जलस्तर बढ़ गया है. पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन से जन जीवन प्रभावित हो रहा है. दून में सुबह धूप निकलने के बाद दोपहर में मौसम ने करवट बदली और मूसलाधार बारिश शुरू हो गई।


चारधाम समेत सभी ऊंचाई वाले इलाकों में भी हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई। 24 घंटे के भीतर राज्य में विकास नगर, चकराता, त्यूनी क्षेत्र में सबसे अधिक 150 मिमी बारिश दर्ज की गई। लगातार बारिश के कारण अधिकतम तापमान में भी गिरावट जारी है. अधिकांश इलाकों में तापमान सामान्य से दो से तीन डिग्री सेल्सियस नीचे रहा.

अगले दो दिन भारी बारिश
मौसम विभाग के अनुसार अगले दो दिनों तक भारी बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है. देहरादून,पौड़ी,टिहरी,नैनीताल,चंपावत और बागेश्वर में कुछ स्थानों पर भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। अन्य जिलों में भी गरज-चमक के साथ तेज बौछारें पड़ने की संभावना है।

गुरुवार, 6 जुलाई 2023

Kamika Ekadashi Vrat 2023 जानें मान्यता और महत्व |

जुलाई 06, 2023 0


कामिका एकादशी मनोकामना पूर्ण करने वाली है! जानिए सावन माह के इस व्रत की महिमा


सावन माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी का अपना विशेष महत्व है। मान्यता के अनुसार, जो लोग इस खास दिन व्रत रखते हैं और सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, उन्हें पुण्य मिलता है।

इस बार कामिका एकादशी व्रत 13 जुलाई को रखा जाएगा। कामिका एकादशी आषाढ़ कृष्ण पक्ष की पवित्र एकादशी मानी जाती है। अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सभी भक्त व्रत रखते हैं तथा भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

यह व्रत दशमी के दिन से प्रारंभ होकर द्वादशी तक चलता है। सभी भक्त दशमी के दिन से व्रत रखते हैं और द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद भोग लगाते हैं और अपना व्रत खोलते हैं।पापों से मुक्ति मिलती है।


इस दिन व्रत करने से सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं इसलिए इसे कामिका एकादशी कहा जाता है। साथ ही इस व्रत से ब्रह्महत्या दोष का भी निवारण होता है। इस दिन व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस खास दिन पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस व्रत से मनुष्य मोक्ष को प्राप्त होता है साथ ही भगवान विष्णु जी को पीली मिठाई और पीले वस्त्र अर्पित करें।

इस शुभ दिन पर स्नान करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें। ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

बुधवार, 5 जुलाई 2023

Sawan में अपनी राशि अनुसार करें Shiv Pujan, मिलेगी दुखों और गृह दोषों से मुक्ति

जुलाई 05, 2023 0

अपनी राशि अनुसार करें शिव पूजन, मिलेगी दुखों और गृह दोषों से मुक्ति




आज 4 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो गया है. श्रावण मास भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है। सावन के महीने में लोग भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय करते हैं। अगर आप सावन में राशि के अनुसार भगवान शिव की पूजा करेंगे तो वे जल्द प्रसन्न हो सकते हैं। साथ ही आपके ग्रह दोष भी शांत रहेंगे। आपकी राशि के लिए क्या है शिव पूजा की विधि? ये तो आप भी जानना चाहेंगे. आइए जानते हैं सावन में राशि के अनुसार शिव पूजा की विधि।

सावन में इस तरह राशि अनुसार करें शिव पूजन

मेष: आपकी राशि के लोगों को बेलपत्र, लाल चंदन और लाल फूल से भगवान भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए। गुलाब जल में थोड़ा सा गुड़ मिलाकर भगवान शिव का करें अभिषेक व ॐ नमः शिवाय मंत्र को जपें।

वृषभ: आपकी राशि के लोगों को सावन में गाय के दूध, दही, सफेद फूल, गंगा जल आदि से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। केवड़ा और दही से शिवलिंग का अभिषेक करें। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें या ॐ नागेश्वराय नमः मंत्र का जाप करें.

मिथुन राशि: आपको श्रावण मास में भांग, धतूरा, कुश, मूंग और दूब से भगवान भोलेनाथ की पूजा करनी चाहिए। जल में दही मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें। गन्ने का रस भी चढ़ा सकते हैं. ॐ नमः शिवाय काल महाकाल काल कृपालम् ॐ नमः मंत्र का जाप करना लाभकारी रहेगा।

कर्क राशि: आपकी राशि के लोगों को सावन में भगवान शिव को सफेद फूल, चंदन, इत्र, गाय का दूध, भांग आदि चढ़ाना चाहिए। घी से रुद्राभिषेक करें। ॐ चंद्रमौलेश्वर नमः मंत्र का जाप आपके लिए शुभ रहेगा।

सिंह: सावन के महीने में जल में गुड़ मिलाकर भोलेनाथ का अभिषेक करें। मदार का फूल, गेहूं, लाल फूल चढ़ाएं। ॐ नमः शिवाय कालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नमः मंत्र का जाप करें। पूजा के समय महादेव के लिए घी का दीपक जलाएं।


कन्या राशि: आपकी राशि के जातकों को सावन के महीने में भांग, बेलपत्र, दूब, पान, धतूरा, गंगाजल आदि से भगवान शंकर की पूजा करनी चाहिए। गन्ने का रस भी पिला सकते हैं. आपके लिए भी एक फलदायक मंत्र है ॐ नमः शिवाय काल महा काल काल कृपाल ॐ नमः।

तुला राशि: श्रावण मास में भगवान शिव को सफेद चंदन, गंगाजल, दही, शहद, श्रीखंड आदि चढ़ाएं। भगवान शिव का इत्र से अभिषेक करें या गंगाजल में चंदन मिलाकर चढ़ाएं। गाय के दूध व मिश्री मिलाकर शिव पूजन करें साथ ही ॐ नमः शिवाय मंत्र जपें।

वृश्चिक: सावन में भगवान भोलेनाथ को लाल गुलाब या कोई भी लाल फूल, बेलपत्र चढ़ाएं। इसे पंचामृत से बनाएं और इससे शिवलिंग का अभिषेक करें। ॐ हौं ॐ जूं सः मंत्र का जाप शुभ फल देगा। शिवजी आपकी मनोकामना पूरी करेंगे.

धनु राशि: सावन के महीने में भगवान शंकर को पीले फूल या पीले गुलाब, पीले फूलों की माला, बेलपत्र, पीला चंदन, मिश्री चढ़ाएं। गाय के दूध में हल्दी मिलाकर अभिषेक करें। बेसन की मिठाई भगवान शिव को अर्पित करें. ॐ नमो शिवाय गुरु देवाय नमः का जाप करें. शिव आपका कल्याण करेंगे.

मकर: आपकी राशि के लोग भगवान शिव को नीलकमल या नीले फूल, बेलपत्र, शमी के पत्ते, भांग, धतूरा आदि चढ़ाएं। नारियल के पानी से शिवलिंग का अभिषेक करें। उड़द से बनी मिठाई का भोग लगाएं. ॐ हौं ॐ जूं सः मंत्र का जाप करें देवों के देव महादेव आपकी रक्षा करेंगे।

कुंभ: श्रावण मास में भगवान शिव को नीले फूल, शमी के पत्ते, गन्ने का रस, शमी के फूल आदि चढ़ाएं। तिल के तेल से महादेव का अभिषेक करें। उड़द से बनी मिठाई का भोग लगाएं। ॐ हौं ॐ जूं सः मंत्र आपके लिए लाभकारी रहेगा।


मीन राशि: आपकी राशि के जातकों को सावन में शिव पूजन के लिए पीले फूल, गन्ने का रस, केसर या केसर मिश्रित दूध का प्रयोग करना चाहिए। नागकेसर और पीली सरसों भी चढ़ा सकते हैं. दही-चावल का भोग लगाएं. ॐ नमो शिवाय गुरु देवाय नमः मंत्र का जाप करें

मंगलवार, 4 जुलाई 2023

WhatsApp ने यूजर को खुश किया! अब Share कर सकेंगे फैन HD Video, जानें कैसे !

जुलाई 04, 2023 0




व्हाट्सएप ने यूजर को खुश किया! अब शेयर कर सकेंगे फैन एचडी में वीडियो, जानें कैसे


अपने वर्चुअल उपभोक्ता के लिए एक शानदार अपडेट जारी करने वाला है। नवीनतम संस्करण 2.23.14.10, जो गूगल प्ले बीटा प्रोग्राम के मीडिया से बीटा टेस्टर्स के लिए उपलब्ध है, इसमें एक शानदार विशेषता है और इसमें उच्च गुणवत्ता वाले वीडियो आउटपुट की क्षमता है। यानी जिस क्वालिटी में वीडियो है, वही क्वालिटी में वीडियो शेयर किया गया है। आइए जानते हैं इस खासियत के बारे में...

व्हाट्सएप पर उच्च गुणवत्ता वाले वीडियो

हाई क्वालिटी वाली स्थिति के लिए हाल ही में प्रस्तुत किए गए विकल्प के आधार पर, अब इस सुधार को वीडियो तक बढ़ाया जा रहा है। नए अपडेट के साथ, निजीकरण को निजीकरण के अंदर एक बटन की आवश्यकता होती है जो उन्हें बेहतर गुणवत्ता में वीडियो साझा करने की अनुमति देता है। जबकि वीडियो के आयाम आरक्षित होंगे, प्रभाव कम्प्रेशन लागू होगा, जिसके परिणामस्वरूप ऑवरऑल गुणवत्ता बेहतर होगी।


वीडियो के लिए हाई क्वालिटी प्लेसमेंट डिफॉल्ट सेटिंग नहीं है; उपभोक्ता को हर बार बेहतर गुणवत्ता में वीडियो साझा करने के लिए इसे वर्चुअल रूप से फोटोग्राफी की आवश्यकता होगी। यह सुनिश्चित करता है कि उपभोक्ता अपने वीडियो-शेयरिंग उपकरणों पर नियंत्रण रखें। हाई क्वालिटी वाले वीडियो की पहचान करने के लिए, सिलिकॉन ऑट पार्टनरली हाई क्वालिटी वाले फोटो के लिए स्थिर सुविधा के लिए, बबल मैसेज में एक टैग समान है। इसे पुनः प्राप्त करने के लिए यह पहचानना आसान है कि कोई भी वीडियो बेहतर गुणवत्ता में नहीं भेजा गया है।

हाई क्वालिटी वाली वीडियो शेयरिंग सुविधा पीएन्ट बीटा परीक्षकों तक ही सीमित है। आने वाले ग्रेटर में, यह सुविधा धीरे-धीरे-धीरे-धीरे अधिक उपभोक्ता तक पहुंचेगी। बड़े आकार के वीडियो का चयन करके जांच की जा सकती है कि वे इस सुविधा का उपयोग कर सकते हैं या नहीं, क्योंकि छोटे उपकरणों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली रैंकिंग शायद उपलब्ध नहीं होगी।

यह भी पढ़ें : WhatsApp is making a big change 

बता दें कि वर्तमान में वीडियो शेयर करने के लिए यह सुविधा स्टेटस अपडेट माध्यम से उपलब्ध नहीं है। हालाँकि, इसका मतलब यह है कि आगे आईओएस ग्राहकों ने घोषणा की है कि नेटफ्लिक्स वर्जन में उच्च गुणवत्ता वाले वीडियो का समर्थन किया जाएगा, और इसके संबंध में आगे की योजनाएं जब रोल आउट होंगी।

Nag Panchami 2023 नाग पंचमी Puja Vidhi व महत्व

जुलाई 04, 2023 0



नागपंचमी की तारीख लेकर आती है उलझन? जानिए सही तिथि और पूजा का उत्सव


नाग पंचमी 2023 कब है: हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी मनाते हैं। पंचमी तिथि नागों को समर्पित है और नाग भगवान शिव के भक्त हैं। महादेव अपने गले में नाग धारण करते हैं इसलिए शिव जी को सावन माह में नाग पंचमी मनाई जाती है। इस साल सावन में अधिक मास पड़ रहा है, बाकी साल की तुलना देखें इस बार नाग पंचमी में थोड़ी देरी से मनाया जाएगा।

नाग पंचमी 2023 कब है?

इस वर्ष नाग पंचमी का पर्व 21 अगस्त 2023, सोमवार को मनाया जायेगा। हिंदी पंचांग के अनुसार सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 21 अगस्त 2023 की देर रात 12:20 बजे से आरंभ 22 अगस्त 2023 की रात 2.00 बजे से प्रारंभ होगी. ऐसे में नाग पंचमी की पूजा करने का शुभ उत्सव 21 अगस्त 2023 की सुबह 05:53 मिनट से सुबह 08:29 मिनट तक रहेगा। इस तरह नागपंचमी पूजन की अवधि 02 घंटे 36 मिनट की होगी।

नाग पंचमी पूजा विधि

8 नाग देवता माने गए हैं। जिनके नाम हैं अनंत, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख। इस दिन नागदेवता की पूजा करें और संभव हो तो व्रत भी रखना चाहिए। इसके लिए नागपंचमी से एक दिन पहले चतुर्थी के दिन एक समय भोजन करें और फिर अगले दिन यानी पंचमी तिथि को व्रत रखें। फिर लकड़ी की दुकान पर नागदेवता की तसवीर या मिट्टी की मूर्ति। नाग देवता की हल्दी, सिन्दूर, चावल, फूल, फल, चढ़ाकर पूजा करें। साथ ही कच्चा दूध, घी, चीनी का मिश्रण बनाएं। पूजा की समाप्ति के बाद नाग पंचमी की कथा और नाग देवता की आरती करें. इससे अच्छा तो यह होगा कि नागदेवता के सेवक को दान दे दिया जाए। व्रत समापन के बाद नाग पंचमी की रात को भोजन किया जा सकता है।


माना जाता है कि नागपंचमी पर नाग देवता की पूजा करने से नागों के भय से मुक्ति मिलती है। साथ ही बहुत सुख-समृद्धि और धन वैभव की कमी नहीं रहती है।


रविवार, 2 जुलाई 2023

Sawan 2023 सावन सोमवार की Katha, Vrat, तिथियां

जुलाई 02, 2023 0




सावन 2023 क्या है खास? 

सावन 2023 एक पवित्र महीना है जो भगवान शिव को समर्पित है। इस साल, सावन का महीना 4 जुलाई से शुरू होगा और 31 अगस्त तक चलेगा 59 दिन का होगाऔर इस बार 8 सावन सोमवार होंगे. ऐसा 19 साल बाद हो रहा है जब सावन माह एक नहीं बल्कि पूरे दो मास का होगा। इसलिए, ये एक अदभुत संयोग मन जाता है। 

सावन के महीने में, शिव भक्तों को उनकी उपासना करने के लिए कई शुभ अवसर मिलते हैं, जैसे कांवर यात्रा, जलाभिषेक, दूधाभिषेक, सोलह सोमवार व्रत आदि। सावन सोमवार की तिथियां इस प्रकार हैं:

सावन का पहला सोमवार: 10 जुलाई

सावन का दूसरा सोमवार: 17 जुलाई

सावन का तीसरा सोमवार: 24 जुलाई

सावन का चौथा सोमवार: 31 जुलाई

सावन का पांचवा सोमवार: 07 अगस्त

सावन का छठ सोमवार: 14 अगस्त

सावन का सातवा सोमवार: 21 अगस्त

सावन का आठवा सोमवार: 28 अगस्त

सावन के महीने में, शिव जी को जल के साथ-साथ बेल पत्र, धतूरा, शमी की पत्ती आदि चढ़ाना शुभ मन जाता है। इसके साथ ही इस महीने में ही कुंवारी कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत आरंभ करती हैं। आप भी इस माहीने में शिव जी की आराधना करके उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

सावन के पीछे की कहानी हिंदू पौराणिक कथाओं समुद्र मंथन या दूध के सागर के मंथन से संबंधित है। इस कथा के अनुसार, देवताओं और राक्षसों ने अमरता का अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन करने का निर्णय लिया। हालाँकि, मंथन के दौरान, समुद्र से हलाहल नामक घातक जहर निकला, जिसने दुनिया को नष्ट करने का खतरा पैदा कर दिया। 

सृष्टि को बचाने के लिए, भगवान शिव ने जहर पी लिया और उसे अपने गले में रख लिया, जो नीला हो गया। उनकी पत्नी, देवी पार्वती ने जहर को और अधिक फैलने से रोकने के लिए उनकी गर्दन दबा दी। 

इस कृत्य से भगवान शिव को नीलकंठ या नीले गले वाला नाम मिला तब से, सावन को भगवान शिव का महीना माना जाता है और उनके भक्त भक्ति और कृतज्ञता के साथ उनकी पूजा करते हैं।


वे उनके गले को ठंडा करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए उनके प्रतीक, शिवलिंग पर जल, दूध और अन्य चीजें चढ़ाते हैं वे सोमवार और मंगलवार को व्रत भी रखते हैं और उनके सम्मान में विभिन्न अनुष्ठान और पूजा भी करते हैं सावन भगवान शिव के अनुयायियों के लिए भी उत्सव और खुशी का समय है।

हिंदू कैलेंडर में सावन एक ऐसा महीना है जिसे बहुत शुभ माना जाता है। चंद्र कैलेंडर के आधार पर यह आमतौर पर जुलाई या अगस्त के महीनों में पड़ता है। यह महीना भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। भारत में लोग विभिन्न तरीकों से सावन मनाते हैं, जैसे:

उपवास: कई भक्त सावन के प्रत्येक सोमवार को उपवास रखते हैं, जिसे सावन सोमवार व्रत के रूप में जाना जाता है। कुछ लोग मंगलवार को भी उपवास करते हैं, जिसे मंगला गौरी व्रत के रूप में जाना जाता है, या शनिवार को, जिसे शनि व्रत के रूप में जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उपवास मन और शरीर को शुद्ध करता है और शांति और समृद्धि लाता है।

अभिषेक: यह शिवलिंग पर जल, दूध या अन्य तरल पदार्थ चढ़ाने की एक रस्म है। यह भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है। कुछ लोग भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन का लेप और फूल भी चढ़ाते हैं।

कांवर यात्रा: यह एक तीर्थयात्रा है जहां भक्त गंगा नदी से पवित्र जल को कांवर नामक बर्तनों में ले जाते हैं और इसे अपने निकटतम मंदिरों में शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। यह भगवान शिव के प्रति भक्ति और आस्था का प्रतीक है।

पूजा: सावन के दौरान भक्त भगवान शिव और देवी पार्वती के लिए विशेष पूजा और मंत्रों का जाप भी करते हैं कुछ लोकप्रिय मंत्र हैं ओम नमः शिवाय, महा मृत्युंजय मंत्र, शिव चालीसा आदि। वे दीपक और अगरबत्ती भी जलाते हैं और भगवान शिव की आरती करते हैं।

तीज: यह सावन के दौरान महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है। वे हरे कपड़े और आभूषण पहनते हैं और हाथों पर मेहंदी लगाते हैं। वे अपने पतियों या इच्छित पतियों के लिए व्रत भी रखती हैं और वैवाहिक सुख के लिए भगवान शिव और देवी पार्वती से प्रार्थना करती हैं।

सावन भगवान शिव के अनुयायियों के लिए आनंद, भक्ति और आध्यात्मिकता का महीना है। ऐसा माना जाता है कि सावन मनाने से भगवान शिव और देवी पार्वती की कृपा प्राप्त होती है और अपनी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

Raksha Bandhan पर पूरे दिन रहेगा भद्रा का साया, नोट कर लें राखी बांधने का शुभ समय

जुलाई 02, 2023 0




रक्षाबंधन पर पूरे दिन रहेगा भद्रा का साया, नोट कर लें राखी बांधने का शुभ समय


सनातन धर्म का त्यौहार रक्षाबंधन प्रमुख त्यौहारों में से एक माना जाता है। इस खास त्योहार पर बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह त्यौहार भाई-बहन के प्यार का अटूट बंधन है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, रक्षा बंधन का त्योहार हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।


Best Gift For Raksha Bandhan


त्योहार दो दिन 30 और 31 अगस्त को मनाया जाएगा. ऐसे में बहनों को अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए 2 दिन का समय मिलेगा। वहीं ज्योतिष की मानें तो इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया भी पड़ रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भद्रा का समय अशुभ माना जाता है। तो आइए जानते हैं इस साल कब मनाया जाएगा रक्षाबंधन का त्योहार और क्या है शुभ मुहूर्त.


यह भी पढ़ें : Benefits of Celebrating Guru Purnima 


राखी बांधने का शुभ समय


हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष की श्रावण पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10:58 बजे से 31 अगस्त को सुबह 07:05 बजे तक है। इसके अनुसार, रक्षाबंधन का शुभ समय सुबह 10 बजे से शुरू होगा। :30 अगस्त को सुबह 58 बजे, जो 31 अगस्त को सुबह 7:05 बजे समाप्त होगी। लेकिन 30 अगस्त को सुबह 10:58 बजे से भद्रा शुरू हो जाएगी और यह उसी दिन रात 9:01 बजे समाप्त होगी। भद्रा काल में राखी बांधना शुभ नहीं माना जाता है, इसके बाद ही राखी बांधी जा सकती है। यानी 31 अगस्त को सुबह 7:05 बजे तक राखी बांधी जा सकेगी .