परमा एकादशी व्रत एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है जो हर साल ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
परमा एकादशी व्रत की कथा के अनुसार, एक बार एक राजा थे जिनका नाम धर्मपाल था. वे बहुत धार्मिक और पुण्यात्मा थे. एक दिन उन्होंने एक ऋषि से परमा एकादशी व्रत के बारे में सुना. ऋषि ने उन्हें बताया कि यह व्रत बहुत ही शक्तिशाली है और इसे रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है.
राजा धर्मपाल ने ऋषि के बताए अनुसार परमा एकादशी व्रत रखा. उन्होंने व्रत के दिन उपवास किया और भगवान विष्णु की पूजा की. उन्होंने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे उन्हें सभी पापों से मुक्ति दिलाएं और मोक्ष प्रदान करें.
व्रत के बाद राजा धर्मपाल को स्वर्ग की प्राप्ति हुई. वे सभी पापों से मुक्त हो गए और मोक्ष प्राप्त कर लिया.
परमा एकादशी व्रत रखने के कुछ नियम हैं. इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति को एक दिन पहले से ही सात्विक भोजन करना शुरू कर देना चाहिए. व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करना चाहिए और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. व्रत के दिन उपवास करना चाहिए और दिन भर भगवान विष्णु का नाम जप करना चाहिए. शाम को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और प्रसाद ग्रहण करना चाहिए.
परमा एकादशी व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह व्रत बहुत ही शक्तिशाली है और इसे हर व्यक्ति को एक बार अवश्य रखना चाहिए.
2023 में परम एकादशी 12 अगस्त को है. यह एकादशी कृष्ण पक्ष की एकादशी है और इसे परम एकादशी इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. इस व्रत को रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
परमा एकादशी व्रत के कुछ लाभ हैं:
- सभी पापों से मुक्ति मिलती है.
- मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्त होता है.
- सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
- रोगों से मुक्ति मिलती है.
- दीर्घायु प्राप्त होती है.
- परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.
परमा एकादशी व्रत एक बहुत ही महत्वपूर्ण और लाभकारी व्रत है. इसे हर व्यक्ति को एक बार अवश्य रखना चाहिए.