झीलों का स्वर्ग Uttarakhand में taal की संख्या और उनकी विशेषताएं व् महत्व

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उत्तराखंड में तालों की संख्या और उनकी विशेषताएं:

उत्तराखंड, "देवभूमि" के नाम से जाना जाने वाला राज्य, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ हिमालय की ऊंची चोटियों, घने जंगलों, और मनमोहक नदियों के बीच अनगिनत ताल बिखरे हुए हैं। इन तालों का जल स्वच्छ और नीला होता है, जो चारों ओर के पहाड़ों और झीलों को प्रतिबिंबित करता है।

कुल तालों की संख्या:

उत्तराखंड में तालों की संख्या का सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है, क्योंकि कई छोटे और अज्ञात ताल हैं। लेकिन, विभिन्न स्रोतों के अनुसार, उत्तराखंड में 500 से अधिक ताल होने का अनुमान लगाया जाता है। इनमें से कुछ प्रमुख ताल हैं:

  • नैनीताल: नैनीताल, उत्तराखंड का सबसे प्रसिद्ध ताल है, जिसे "झीलों की नगरी" भी कहा जाता है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, नौका विहार और पर्यटन स्थलों के लिए जाना जाता है।
  • फूलों की घाटी: यह राष्ट्रीय उद्यान अपनी विविध प्रकार की फूलों की प्रजातियों और मनमोहक हेमकुंड ताल के लिए प्रसिद्ध है।
  • रूपकुंड: यह रहस्यमयी ताल, जिसे "रहस्यमयी झील" भी कहा जाता है, 5000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ 700 से अधिक मानव कंकाल पाए गए हैं, जो आज भी वैज्ञानिकों के लिए रहस्य बने हुए हैं।
  • सातताल: यह ताल समूह, अपने सात अलग-अलग तालों के लिए जाना जाता है, जो विभिन्न रंगों और आकारों में हैं।
  • भीमताल: यह ताल, नौका विहार, मछली पकड़ने और पक्षी देखने के लिए प्रसिद्ध है।

विशेषताएं:

उत्तराखंड के ताल अपनी विविध विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। इनमें से कुछ विशेषताएं हैं:

  • ऊंचाई: कुछ ताल समुद्र तल से 1000 मीटर से कम ऊंचाई पर स्थित हैं, जबकि अन्य 5000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्थित हैं।
  • आकार: कुछ ताल छोटे और गोल होते हैं, जबकि अन्य बड़े और लम्बर होते हैं।
  • गहराई: कुछ ताल उथले होते हैं, जिनमें पानी का स्तर केवल कुछ फीट होता है, जबकि अन्य गहरे होते हैं, जिनमें पानी का स्तर सैकड़ों फीट तक हो सकता है।
  • जलवायु: ऊंचाई के आधार पर, तालों की जलवायु भिन्न होती है। कुछ ताल ठंडे होते हैं, जिनमें पानी का तापमान साल भर कम रहता है, जबकि अन्य ताल गर्म होते हैं, जिनमें पानी का तापमान गर्मियों में 20°C तक पहुंच सकता है।
  • वनस्पति और जीव: तालों के आसपास विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे और जीव-जंतु पाए जाते हैं। कुछ ताल मछली पकड़ने के लिए प्रसिद्ध हैं, जबकि अन्य पक्षी देखने के लिए प्रसिद्ध हैं।

उत्तराखंड के तालों का महत्व

  • धार्मिक महत्व: उत्तराखंड के कई तालों का धार्मिक महत्व है। उदाहरण के लिए, नैनीताल में स्थित नैना देवी मंदिर, हिन्दू धर्म के अनुयायियों के बीच प्रसिद्ध है। कुछ ताल हिंदू धार्मिक ग्रंथों में भी वर्णित हैं, जो इन तालों के पवित्र दर्जा को और मजबूत करते हैं।

  • त्योहार और मेले: उत्तराखंड के कई तालों में साल भर में विभिन्न त्योहार और मेले आयोजित किए जाते हैं। इनमें से कुछ त्योहार विशेष रूप से तालों से जुड़े होते हैं, जिनमें भक्त ताल में स्नान करते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। यह त्योहार स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

  • पौराणिक कथाएं: उत्तराखंड के कई तालों के बारे में पौराणिक कथाएँ हैं। रूपकुंड के रहस्यमय ताल के बारे में बताई जाने वाली कहानी, इस क्षेत्र की लोकप्रिय कथाओं में से एक है। ये कथाएं स्थानीय लोगों की परंपराओं और विश्वासों को दर्शाती हैं।

  • आयुर्वेदिक महत्व: कुछ तालों के पानी में औषधीय गुण माने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इन तालों में स्नान करने से कुछ बीमारियों को ठीक करने में मदद मिल सकती है। हालाँकि, इस बारे में कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं, लेकिन यह स्थानीय लोगों की पारंपरिक मान्यताओं को दर्शाता है।

  • पर्यावरण संरक्षण: उत्तराखंड के ताल पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह जलीय वनस्पतियों और जीवों के आवास हैं, और जलवायु को संतुलित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हाल के वर्षों में, पर्यावरण प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के कारण, इन तालों को खतरा हुआ है। इसलिए, इन तालों का संरक्षण आवश्यक है।

उत्तराखंड के ताल न केवल प्राकृतिक सुंदरता के दृष्टि से आकर्षक हैं, बल्कि वे पर्यटन, मनोरंजन और मछली पकड़ने के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। यह राज्य, "झीलों का स्वर्ग" के रूप में जाना जाता है, जो प्रकृति प्रेमियों और साहसिक पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थान है।

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