हम चले साथ उनके कविता का शीर्षक
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हम चले साथ उनके
मंजिल मिल ही गयी
कभी रास्ते जो खफा थे
आज उनमें रोशनी हो ही गयी ॥
मुकम्मल कहाँ मिलता है जहां
अभी तो वक्त बाकी है
जिंदगी जीने के लिए चंद साँसें मिल ही गयी ॥
हम चले साथ उनके मंजिल मिल ही गयी ॥
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और कुछ वक्त का तकाजा तो नहीं
शाम ढाल ही गयी , उम्र थम सी गयी
कहना कुछ नहीं अब , दिल मे यादों की घड़ियाँ जम सी गयी
साथ चले वो तो मंजिल मिल ही गयी
कभी रास्ते जो खफा थे
आज उनमें रोशनी हो ही गयी ॥
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