शनिवार, 13 फ़रवरी 2021

Hum Chale Sath Unke Nai कविता (मेरी जुबानी , मेरी कहानी )

 हम चले साथ उनके कविता का शीर्षक 


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हम चले साथ उनके 

मंजिल मिल ही गयी 

कभी रास्ते जो खफा थे 

आज उनमें रोशनी हो ही गयी ॥ 

मुकम्मल कहाँ मिलता है जहां 

अभी तो वक्त बाकी है 

जिंदगी जीने के लिए चंद साँसें  मिल ही गयी ॥ 

हम चले साथ उनके मंजिल मिल ही गयी ॥ 









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और कुछ वक्त का तकाजा तो नहीं 

शाम ढाल ही गयी , उम्र थम सी गयी 

कहना कुछ नहीं अब , दिल मे यादों की घड़ियाँ जम सी गयी 

साथ चले वो तो मंजिल मिल ही गयी 

कभी रास्ते जो खफा थे 

आज उनमें रोशनी हो ही गयी ॥ 



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