हम सभी जानते हैं कि हम अमर नहीं हैं और एक दिन हमें मरना है। काल की घड़ी में धनी राज या भिखारी का एक ही स्थान है। लोग मृत्यु के बारे में सब कुछ जानने के लिये जिज्ञासु हो जाते हैं। प्रचीन धर्मग्रन्थों के अनुसार मृत्यु और आत्मा के रहस्यों के बारे में यमराज और नचिकेत नामक बालक के बीच चर्चा हुई थी।

यहाँ पर कुछ रहस्यों को उजागर किया जा रहा है जिन्हें मृत्यु के देवता यमराज द्वारा नचिकेत को बताया गया था।
नचिकेत के वरदान – जब नचिकेत यमराज से मिलने गये तो उन्हों ने तीन वरदान माँगे। पहले वरदान में पिता के प्रेम की कामना, दूसरे में अग्नि विद्या का ज्ञान और तीसरे में मृत्यु और आत्मा का ज्ञान माँगा। यमराज अन्तिम वरदान को नहीं पूरा करना चाहते थे लेकिन बालक ने हठ किया। इसलिये यमराज मृत्यु के बाद क्या होता है, इसके रहस्योद्घाटन के लिये तैयार हो गये।
रहस्योद्घाटन – धर्मग्रन्थों के अनुसार यमराज ने बताया कि ओउम (ओंकार) परमात्मा का स्वरूप है। उन्होंने यह भी बताया कि मनुष्य के हृदय में ब्रह्मा का वास होता है।
आत्मा – यमराज ने कहा कि आत्मा मनुष्य की मृत्यु के बाद भी नहीं मरती। संक्षेप में, शरीर का आत्मा के विनाश से कोई सम्बन्ध नहीं है। आत्मा कभी जन्म नहीं लेती न मरती है।
ब्रह्मरूप – मृत्यु के बाद मनुष्य जन्म-मत्यु के चक्र को पूरा करता है। इसका मतलब यह है कि मनुष्य जन्म-मत्यु के चक्र अर्थात ब्रहम रूप से मुक्त हो जाता है।
ब्रह्मरूप – मृत्यु के बाद मनुष्य जन्म-मत्यु के चक्र को पूरा करता है। इसका मतलब यह है कि मनुष्य जन्म-मत्यु के चक्र अर्थात ब्रहम रूप से मुक्त हो जाता है।
ईश्वरीय शक्ति – यमराज ने कहा कि जो लोग ईश्वर में आस्था नहीं रखते और नास्तिक होते हैं वे मृत्यु के बाद भी शान्ति की तलाश में रहते है। उनकी आत्मायें भी शान्ति की तलाश करती है।
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